अब शौचालयों के लिए पांत में खड़ी कारपोरेट कंपनियां
सलेम के खिलाफ जिहाद की वजह से कोलकाता वेस्ट को प्रेतनगरी बनाकर बाटा उपनगरी के लिए सिंगापुर की जीआईएस से 200 करोड़ झटक लिये दीदीदी ने
आज हम जो देश भर में किसान,कामगार कर्मचारी और आमजनता को सर्पदंश से दम तोड़ते देख रहे हैं,वह बसंतीपुर के अवस्थान से ही और कोलकाता का इस नजरिये में कोई अवदान नहीं हैं.हम अगर सिरे सेबदतमीज है तो इस बदतमीजी का संक्रमण छात्रजीवन में अनवरत गिर्दा सोहबत से ही हुआ है।
पलाश विश्वास
15 अगस्त के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से कहा था कि सरकार योजना आयोग को खत्म करने वाली है और इसकी जगह कोई नई संस्था बनाई जाएगी। आज पीएम नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर नई संस्था के बारे में जनता से सुझाव मांगे हैं। मोदी ने ट्वीट कर कहा कि देश की जनता योजना आयोग की जगह लेने वाली नई प्रस्तावित संस्था पर अपने सुझाव भेजें। नई संस्था राज्यों की भागीदारी बढ़ाने वाली और 21 वीं सदी के भारत की उम्मीदों को पूरा करने वाली होगी। mygov.nic.in पर इसके लिए फोरम शुरू किया गया है। आप अपना सुझाव वहां दे सकते हैं।
लालकिले की प्राचीर से प्रधान स्वयंसेवक ने जो शौचालय विकास का मुक्तबाजारी सारतत्व का गीतोपदेश मेकइन इंडिया फर्मैट में दिया,उसका पीपीपी रेसपांस मीडिया में शौचालयविमर्श की क्रांति अंजाम फहराने लगा है।इस पर पुराने समाजवादी पत्रकार प्रशांत भूषण जी ने आज के जनसत्ता में संपादकीयआलेख में सिलसिलेवार चर्चा की है।आपको कोई खास तलब महसूस हो तो इस आलेख को जरुर पढ़ लें।इसी बीच बाजार में तेजी का सिलसिला जारी है और निफ्टी 7900 के ऊपर बरकरार है। हालांकि सेंसेक्स 26450 के नीचे आ गया है। यूरोपीय बाजारों की तेजी से भी भारतीय बाजारों को सहारा मिला है और बाजार में मूमेंटम देखा जा रहा है। घरेलू बाजार में मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में शानदार उछाल देखा जा रहा है।
केसरिया एनजीओ नेटवर्किंग का नया थ्री डी आयाम है यह और अपनी सरकार के डिजिटल पोर्टल में भी विकास कामसूत्र का यह अध्याय जनसहयोगे नये सिरे से लिखे जाने की तैयारी है।इसीके मध्य शौचालय न होने की वजह से दुल्हनों के औचक ससुराल से मैके लौट जाने से और फिर उन्हें सम्मानित किये जाने से विरहरस पगे दूल्होंके होश उड़ जाने के वृतांत हमें भी अपनी शादी की याद दिला रहे हैं।
मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर अपने भाषण में इंडिया इंक से देशभर में मॉडर्न सैनिटेशन सुविधाएं देने में मदद करने का आह्वान किया था। कॉरपोरेट जगत ने इस दिशा में पहले करने में देरी नहीं की और देश में साफ-सफाई के लिए बड़ा खर्च करने का वादा किया है। टीसीएस, भारती एयरटेल, एचयूएल, आदित्य बिड़ला ग्रुप, आईटीसी, अडानी और डाबर उन बड़ी कंपनियों में शामिल हैं, जिन्होंने सैनिटेशन सुविधाओं के लिए सीएसआर के तहत भारी खर्च करने या मौजूदा प्रोग्राम्स को अपग्रेड करने का वादा किया है। ये सुविधाएं खासतौर पर ग्रामीण भारत में लड़कियों और महिलाओं के लिए होंगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान में कॉरपोरेट इंडिया भी बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। टीसीएस औरभारती फाउंडेशन गांवों और स्कूलों में शौचालय बनवाने पर 100-100 करोड़ रुपये खर्च करेंगी। टीसीएस ये रकम देश भर में 10,000 स्कूलों में शौचालय बनाने पर खर्च करेगी तो भारती फाउंडेशन लुधियाना के गांवों और स्कूलों में शौचालय बनवाएगी।
भारती फाउंडेशन लुधियाना के ग्रामीण इलाकों में शौचालय बनवाएगी। अगले 3 सालों में भारती फाउंडेशन शौचालय पर 100 करोड़ रुपये खर्च करेगी। भारती फाउंडेशन सरकारी स्कूलों में लड़कियों के लिए शौचालय बनवाएगी। भारती एयरटेल और भारती इंफ्राटेल भारती फाउंडेशन का साथ देंगी।
कल ही आपको खबर दी थी कि टीसीएस देशभर में 10,000 स्कूलों में शौचालय बनवाएगी। लड़कियों के लिए शौचालय बनवाने पर 100 करोड़ रुपये खर्च करेगी।
दूसरी तरफ रिजर्व बैंक की रीस्ट्रक्चरिंग का आइडिया बैंक के मिडिल मैनेजमेंट का है, गवर्नर का नहीं। गवर्नर रघुराम राजन और दूसरे डिप्टी गवर्नर इस आइडिया को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं। सीएनबीसी आवाज़ को मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक आरबीआई की रीस्ट्रक्चरिंग का आइडिया बैंक के टॉप मैनेजमेंट और स्टाफ की मीटिंग के दौरान सामने आया। इस मीटिंग में आरबीआई के चीफ जनरल मैनेजर और रीजनल मैनेजर शामिल थे।
रीस्ट्रक्चरिंग के तहत आरबीआई के 21 विभागों को 5 ग्रुप में बदलने की योजना है। इनमें से एक ग्रुप आरबीआई के आंतरिक मामलों को संभालने के लिए होगा और इसके लिए सीओओ की नियुक्ति का प्रस्ताव है। सूत्रों के मुताबिक आरबीआई में प्रस्तावित ये बदलाव आंतरिक है, इसलिए इस बदलाव के लिए सरकार की मंजूरी की जरूरत नहीं है। हालांकि सीओओ की नियुक्ति के लिए सरकार की मंजूरी की जरूरत होगी।
मेरा आलेख का मुद्दा बेहद गुरुगंभीर है इसलिए डिनर के पहले फलरस की तरह उस पर तनिक चर्चा की इजाजत चाहता हूं।
मेरी मां का मैका ओड़ीशा के कटक जिले के बारीपदा में है,मैंने कई बार लिखा है।मेरे गांव में कोई शौचालय नहीं रहा है।लेकिन हमारे डाक्टर चाचा दिवंगत छोटोकाका छोटे बड़े से लेकर घर भर के स्त्री पुरुषों की शौच का इंतजाम को पहली प्राथमिकता देते थे।हालांकि कमोड की व्यवस्था न थी,लेकिन घिरा हुआ शौचालयघर में शुरु से था।
पेड़ की डाल शौच गड्ढे पर डाल दी जाती थी।जिसपर फारिग होने का मजा ही कुछ औऱ था।हालांकि हम बच्चों को खुले में नदीकिनारे कहीं भी शौच में मजा ज्यादा आता था।लेकिन बसंतीपरु की महिलाएं किसी भी घर में शौच के लिए कभी घर से बाहर नहीं गयीं और हर घर में उनके लिए कच्चा शौचालय था।
हमारे छोटो काका भी गजब के थे।विश्वसाहित्य का चस्का उन्होंने ही हमें लगाया तो हरित क्रांति के मुकाबले उनकी कारस्तानी ही कुछ और थी।
शौचालय का गड्ढा भर जाने के बाद नया शौचालय बना लेते थे वे।माटी से भर देते थे पुराना गड्ढा।तो गोशाली का सारा गोबर भी पोखर में जमा किया जाता था। फिर मनुष्यऔर पोखर का गोबर माथे पर ढोकर खेत में छिडकवाने का काम हमारा।
वे घनघोर नास्तिक थे और विशुद्धता के खिलाफ पुरदस्तूर म्लेच्छ।हम भी अपने चाचा के नक्शकदम पर चलते रहे हैं।
हमारे घर में दो बातें खास थीं।एक तो हमेसा कुत्तों का कोई जोड़ा आगन्तुकों की सुरक्षा जांच में लगा रहता था और चूंकि हमारे घर से दूसरे गांवों का रास्ता निकलता था,तो राहगीर सारे डर डर डर कर निकलते थे।घर में रात दिन कचहरी लगी रहती थी तो अतिथियों की भी भरमार थी।
मिट्टी की दीवार और फूस की छत वाली झोपड़ियों के उस जमघट में पेड़ों की चाया सर्वत्र थी और थे चारों तरफ जहरीले सांप।कभी भी कहीं भी नाग का दर्शन हमारे घर में आम रोजमर्रे की जिंदगी थी।
सर पर सांप,पांवों से लिपटता सांप,नलके के पर सांप,गोशाला में सांप,पांव से लिपटता सांप,तमाम तरह के दृश्यबंध आम थे।
हमारे पूरब के घर में जहां हमारी ताई रहती थी,कभी कभार सांपों की ब्रेगेड रैसी भी हो जाया करती थी और उस घर के सामने हमारी नानी और दादी करहस्ते खड़ी रहती थी उनकी सुरक्षा के लिए।
वे अपनी सभा खत्म करके चले जाते तो फिर रोजमर्रे का कामकाज शुरु होता।
हमारे शौचालय में वैसे कोई दिक्कत न थी लेकिन जिस डाल पर बैठकर फारिग होने का इंतजाम होता था,उसपर कभी कभार सांपों का लिपट जाना आम था।
यह किसी भी अजनबी के लिए आतंककारी था तो अतिथिगण हमारे शौचालय में फारिग हो जाने के बजाय नदीकिनारे का रास्ता पूछते रहते थे।
मेरी बहन भानू को हांलांकि निरिविष सांपों ने दो दो बार काटा,लेकिन मच्छरदानी तक में घुसकर सीने पर भी लेट जाने वाले काले नागों ने अब तक किसी को डंसा नहीं है।
हमारे घर का भूगोल भाई पद्दो,अरुण और पांचू और भतीजे अंकुर की कोशिशों से माटी की दीवारों और फूस की छतों से मुक्त हुआ है,ऐसी खबरें मिली है।
मां के निधन के बाद सिर्फ एकबार करीब सात साल पहले घर जाने की वजह से मैंने पक्के घरों का नया नजारा देखा नहीं है।लेकिन घर में मां पिता ताउ ताई नानी दादी से लेकर भतीजे विप्लव तक ने माटी के दीवारों के मध्य आखिली सांसें ली हैं।
हम बचपन में कभी भी सर्पदंश के शिकार हो सकते थे।सांपों के डेरे हमारे लिए खेलागर थे।एक साथी तो खेलते खेलते हमारी आंखों के सामने सर्पदंश से सिधार गया।तब सर्पदंश से नहीं डरे तो अब सांपों से क्या डरना।
शौच पद्धति ग्रामीण होने की वजह से हमारे गांव में कोई बगावत लेकिन हुई नहींषइस पर तुर्रा यह कि मेरी मां तो ओड़ीसा से नैनीताल की तराई में अपने नाम पर बसे गांव में दाखिल होने के बाद मैके गयी ही नहीं और गांव से बाहर दिनेशपुर तक उनका सरहद था।हमने अपना ननिहाल भी नहीं देखा।
सविता की शुरुआती पढ़ाई कोटद्वार में सरकारी क्वार्टर से हुई क्योंक उनके पिता और भाई रामगंगा परियोजना में काम कर रहे ते।इंटर पास करने के बाद वे कुंवर धर्मवीर साहेब के धर्मनगरी गांव में अपने मायके में दाखिल हुई और बिजनौर में कालेज की पढ़ाई के दौरान निगार की सहेली होने की वजह से हाकी और क्रिकेट के खेलों की वजह से रजिया जैदी के नवाब खानदान की धर्मबेटी भी बन गयी।
बिना बारात शादी करके उन्हें लेकर बसंतीपर लौटते वक्त कीचड़ सने रास्ते पर पैदल उतरने के अलावा चारा न था तो नई दुल्हन ने नीचे उतरने से मना कर दिया।दोस्त विवेक कहीं से रिक्शा लेकर आया तो वे घर तक पहुंची।इसी दरम्यान मुझें दो त्याग करने पड़े।चेइन स्मोकिंग छोड़नी पड़ी और अपनी उत्तराखंडी नैनीताली पहचान दाढ़ी भी,जो अब मेरे जीमेल प्रोफाइल में ही कैद है।
सविता शौचालय के बंदोबस्त देखकर आग बबूला हो गयी।घर में अलग बाथरूम भी न था।पिता ताउ से कह नहीं सकती थी और हम पर भरोसा था नहीं तो पद्दो और अरुण को फरमान दे दिया कि कुछ भी करो,पहले बातरूम बनाओ और शौचालय भी।
तब पांचू बहुत छोटा था।हमारे दोनों भाइयों ने सीतामइया के आदेश का देर सवेर पालन कर दिया और अब तो पद्दो फोन पर अपनी भाभी को कमोड तक की दावत देने लगा है।
सविता को खास तकलीफ सांपों से हुई।कुत्तों को उनने साध लिया लेकिन सांपों के आतंक के मारे बसंतीपुर में उनकी तमाम रातें आतंक की उनींदी रातें रहीं।
बचपन से लेकर अबतक मुसलमान,ईसाई और आदिवासी परिवारों के साथ अंतरंग पारिवारिक ताल्लुकात रखने की वजह से बंगाली शरणाऱ्थियों के उस गांव में भी हमारे परिवार में जाति धर्म भाषा की दीवारे तोड़कर शादी व्याह की शर्त लगाने वाली बंगाली कम पश्चिम उत्तर प्रदेश की चौधरानी ज्यादा सविताबाबू मोदी को उनके हिंदुत्व एजंडे के लिए खासा नापंसद करती हैं।
हम लोगों ने बांग्लादेशी कथाकार अबू बकर सिद्दीकी का शौटालयक्रांति पर लिखी लाजवाब कहानी भी पढ़ रखी है।
इसके बावजूद लालकिले की प्राचीर से प्रधानमंत्री की इस शौचालय क्रांति का उन्होंने तहेदिल से स्वागत किया और बोली कि स्त्री सशक्तीकरण के लिए यह अनिवार्य है।
लेकिन जब इस शौचालय क्रांति से जुड़े कारपोरेट और पीपीपी फंडा की बातें हमने शुरु की,फौरन उनका बयां था कि यह तो महिलाओं के कंधे पर बंदूक रखकर देश बेचने का कार्यक्रम है।
मेरे घर में चारों तरफ सांपों की अबाध अविराम आवाजाही के बावजूद सर्पदंश से हम मुक्त रहे हैं।लेकिन हमने बसंतीपुर में ही दूसरे घरों में सर्पदंश से नीले पड़ झाग उगलते लोगों को चंद मिनटों में दम तोड़ते देखा है।
वे सारे किसान हैं।
हम अंधेरी ग्रीष्म की अमावस्या रातों में भी बिना टार्च खेतों के मेढ़ों पर,नहरों के किनारे बखौप चलते रहे हैं,जहां सांपों की मौजूदगी सबसे ज्यादा होती है।
हम बचपन में कभी भी सर्पदंश के शिकार हो सकते थे।सांपों के डेरे हमारे लिए खेलागर थे।एक साथी तो खेलते खेलते हमारी आंखों के सामने सर्पदंश से सिधार गया।तब सर्पदंश से नहीं डरे तो अब सांपों से क्या डरना।
हमारी पढ़ाई और रोजगार को हमारे परिवार के लोग कृषि से अलहदा नहीं मानते थे।
नैनीताल में हमें जाडों की दोमहीने की छुट्टियां मिलती थीं तो गरमियों में भी छुट्टियां।इस अवधि में परीक्षाओं की तैयारी से ज्यादा जरुरी था हमारे लिए खेतों खलिहानों में मोजूदगी,खेत के काम में हाथ बंटाना।
आज हम जो देश भर में किसान,कामगार कर्मचारी और आमजनता को सर्पदंश से दम तोड़ते देख रहे हैं,वह बसंतीरुर के अवस्थान से ही और कोलकाता का इस नजरिये में कोई अवदान नहीं हैं.हम अगर सिरे सेबदतमीज है तो इस बदतमीजी का संक्रमण छात्रजीवन में अनवरत गिर्दा सोहबत से ही हुआ है।
हम बचपन में कभी भी सर्पदंश के शिकार हो सकते थे।सांपों के डेरे हमारे लिए खेलागर थे।एक साथी तो खेलते खेलते हमारी आंखों के सामने सर्पदंश से सिधार गया।तब सर्पदंश से नहीं डरे तो अब सांपों से क्या डरना।
योजना आयोग केसरिया मुक्तबाजारी पंच परमेश्वर में समाहित करने के बाद सेनसेक्स की अभूतपूर्व उछालमध्ये गजब अजब प्रेमकथाएं खुलने लगी है देश विदेश ऐसे कि रणवीर कपूर और कैटरिना मलंग भी शर्माने लगे।
मसलन आपके घर शौचालय बनाने के लिए कारपोरेट कंपनियों की पांत खड़ी इंतजार में तो कंपनियों को दो दो सौ फीसद मुनाफा।
हरित क्रांति के बाद अब जीएम मनसेंटो क्रांति से भारतीयकृषि के कफन में आखिरी कीलें ठोंकने का पुरअसर इंतजाम हीरक बुलेट स्मार्ट सिटी सेज महासेज औद्योगिक गलियारा मध्ये।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंको का राष्ट्रीयकरण खारिज करने के लिए नायक कमिटी की सिफारिशें लागू करने की राजन कवायद तेज,जैसा कि हस्तक्षेप में हमने पहले सूचना दी और आज फिर इकोनामिक टाइम्स में स्टोरी है कि कैसे आरबीआई कानून बदलकर सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों के प्रबंधन में प्राइवेट खिलाड़ियों पिलाड़ियों की तदरथ नियुक्तियां परमानेंट करने की प्लानिंग है।
मसलन मंहगाई,मुद्रास्फीति के मद्देनजर कारपोरेट फायदे के लिए मौद्रिक कवायद मध्ये रेटिंग एजंसियों के हवाले वृद्धि संकट और मंदी के बहाने जोर मुनाफावसूली के शोर शराबे के साथ संसाधनों की खुली लूट,पर्यावरण का सत्यानाश और बेदखली के लिए सैन्य राष्ट्र का निरंतर युद्ध ,पाक चीन हौआ और अक्लांत सैन्यीकरण का भारत अमेरिका परमाणु संधि और अमेरिकी तेल युद्ध में शिरकत के साथ इजराइल के साथ बेशर्म युगलबंदी।
अब मध्य भारत में बागी आदिवासियों से निपटने के लिए सोनी सोरी बंदोबस्त और सलवाजुड़ुम के बाद नगा टुकड़ियां भी और वे जिस जमीन से है,वह जमीन की भी विडंबना घनघोर कि कश्मीर और समूचे पूर्वोत्तर की तरह सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून आफसा के तहत मानवाधिकार और नागरिक अधिकारों से वंचित है और वहीं इरम शर्मिला चौदह वर्षों से आफसा खत्म करने के लिए आमरण अनशन पर हैं।
बजरिये रेटिंग एजंसियों के दबाव और वैश्विक इशारों के मुताबिक गरीबी उन्मूलन,शहरी विकास,ग्रामोन्वयन,डिजिटल बायोमेट्रिक देश,ई गवर्नेंस के साथ ईटेलिंग, विनियंत्रण, विनियमन ,निवेश,विनिवेश,एफडीआई,पीपीपी माडल गुजराती महाभारत पुनरूत्थान मध्ये और अनियंत्रित वित्तीय घाटा घनघोर के वावजूद लाखों करोड़ सालाना कारपोरेट कंपनियों को टैक्स छूट,ऊपर से लाखों का बैंक लोन राइट आफ और राजस्व घाटा के बहाने सब्सिडी खत्म करने के लिए डायरेक्ट कैश टू होम के साथ बिजनेस टू होम और कैसलिक्विडिटी का कारपोरेट रेसपांसिबिल फंडा।
इसपर तुर्रा भुगतान संतुलन संकट और आउटसोर्सिंग के झमेले मध्य कृषि और उत्पादन विकास दर का झमेला।
मसलन भारतीय राजकोष खाल्ली आपदाों से निपटने के लिए और राज्यों के सत्ता समीकरण साधने के पैकेज बांटो कलाकौशल मध्ये डायरेक्ट टैक्स कोड,जीएसटी के ढोल नगाड़े के मध्य बीमा,पेंशन,भविष्यनिधि से लेकर ग्रेच्युटी और सगरी जमापूंजी बाजार में झोंकेन का सारतत्व और देश को बाजार में तब्दील करके हिंदू राष्ट्र हासिल करने का देशभक्त धर्मोन्माद और नित्य नूतन भागवत पाठ।
मसलन अमेरिकी युद्धक अर्थव्यवस्था को जमानत के लिए देश रातचाइल्डस और राकफेलर के हवाले तो भारतीय राजकोष अमेरिकी कंपनियों के म्युचुअल फंड में।भारत अमेरिकी निजी कंपनियों के म्युचअल फंड में नसबसे बड़ा निवेशक तो म्युचअल फंड को सेविंग्स का विक्लप बनाने का आत्मघाती जनविकल्प बीमा को शेटर बाजार से न्थी करके प्रीमियम तक का मोहताज बनाने के मध्य।
मसलन गंगटोक के बाद शिमला की बारी ।कदम कदम पर पहाड़ चढ़ने उतरने को टैक्सी की सवारी।शिमला में तो टैक्सी भी शीटैक्सी है और पर्यावरण की चर्चा के स्त्रीविरोधी हो जाने का खतरा भी है।लेकिन इस दिल का क्या करें जनाब जो नैनी झील में कैद है और जो अविराम भू मलबा स्खलन की शिकार है।
डर बस इतना सा है कि जब नैनीताल,दार्जिलिंग और मंसूरी में भी पगडंडियों पर दौड़ेंगी टैक्सियां तो सही मायने में केदर जलप्रलय का विकेंद्रीकरण हो जायेगा।
मसलन सलेम के खिलाफ जिहाद की वजह से कोलकातावेस्ट को प्रेतनगरी बनाकर बाटा उपनगरी के लिए सिंगापुर की जीआईएस से 200 करोड़ झटक लिये दीदीदी ने।दीदी अब सही मायने में पीपीपी दीदीदी हैं।
दीदी के राजकाज के घनघोर आलोचक चैनल और अखबार भी दीदीदी के संगी हैं और सबका सुर सुर में मिला बंगाल में निवेश विनिवेश पीपीपी राज को गुजरात माडल से महकाने लगा है।हर अखबार बंगाल में पांचजन्य है या आर्गेनाइजर।
मसलन एलआईसी के चेयरमैन एस के रॉय के मुताबिक मौजूदा कारोबारी साल में एलआईसी बाजार में कुल 50,000 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। एलआईसी के चेयरमैन एस के रॉय ने कहा कि वो फाइनेंशियल, आईटी और एफएमसीजी सेक्टर को लेकर काफी पॉजिटिव हैं। एफएमसीजी सेक्टर में काफी अच्छे अवसर हैं। बाजार में वित्त वर्ष 2015 की पहली तिमाही में लक्ष्य के मुताबिक निवेश किया जा चुका है।
इंश्योरेंस में एफडीआई के मुद्दे पर एलआईसी चेयरमैन एस के रॉय ने कहा कि इससे एलआईसी के लिए कंपिटीशन बढ़ेगा क्योंकि निजी कंपनियों के पास पूंजी आएगी और वो नए प्रोडक्ट भी लॉन्च कर सकेंगी। निजी इंश्योरेंस कंपनियों की पूंजी बढ़ने से फायदा होगा। इंश्योरेंस में एफडीआई की सीमा बढ़ने से नए प्रोडक्ट आने की उम्मीद है। निजी कंपनियों की डिस्ट्रीब्यूशन की टीम बढ़ सकती है। एलआईसी शुरुआत से ही इंश्योरेंस सेक्टर में नंबर वन है और आगे भी नंबर वन बने रहने के लिए बेहतर काम करना होगा।
एलआईसी की लिस्टिंग की खबरें आती रहती हैं। इस पर एस के रॉय ने कहा कि एलआईसी को लिस्ट कराने पर फैसला पूरी तरह सरकार का होगा। एस के रॉय भी आरईआईटी को एक शानदार विकल्प मानते हैं। हालांकि उन्होंने कहा है कि इस पर और सफाई के आने के बाद ही कंपनी कोई फैसला लेगी।
मसलन हर घर में बैंक अकाउंट- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस महत्वाकांक्षी योजना का एलान स्वतंत्रता दिवस पर किया है। एक ऐसी योजना जिससे गरीब से गरीब इंसान का बैंक खाता खुले, उसे बीमा मिले और वो आर्थिक सिस्टम का हिस्सा बन जाए। फाइनेंशियल इन्क्लूजन की कोशिश पहले भी की गई है- लेकिन अब तक ये किसी मुकाम पर नहीं पहुंच पाई है। तो इस बार नई सरकार के नए विजन के साथ क्या कहानी अलग होगी, इसी पर सीएनबीसी आवाज़ की खास पेशकश-जन जन को धन।
प्रधानमंत्री जन-धन योजना के तहत गरीब लोगों के लिए बैंक अकाउंट की सुविधा होगी जिसमें डेबिट कार्ड के साथ 1 लाख रुपये का बीमा भी मिलेगा। ग्रामीण क्षेत्र के हर घर में कम से कम एक बैंक खाता होगा। 2016 तक ये अकाउंट खोलने का लक्ष्य रखा है। इस अकाउंट में मिनिमम बैलेंस रखने की जरूरत नहीं है और सब्सिडी का डायरेक्ट ट्रांसफर बैंक खाते में संभव हो सकेगा। इस योजना के तहत सरकार का 15 करोड़ बैंक अकाउंट खोलने पर जोर है। साथ ही हर महीने 5000 रुपये के ओवर ड्राफ्ट की भी सुविधा मिल सकेगी। 2018 तक सरकार की 7.5 करोड़ घरों में 2 बैंक खाते खोलने का लक्ष्य है।
जन-धन योजना बड़े काम की है और फाइनेंशियल इनक्लूजन के लिए जरूरी है। देश में 42 फीसदी लोगों के पास बैंक अकाउंट नहीं है और क्रिसिल के मुताबिक 40 फीसदी लोगों तक ही फाइनेंशियल सर्विस पहुंच पा रही हैं। जन धन योजना के जरिए सरकार बैंकिंग, कर्ज, बीमा, पेंशन, डेबिट कार्ड सेवा का विस्तार करना चाहती है।
हालांकि इस योजना के लिए दिक्कतें भी कम नहीं हैं। इसके लिए बैंक मित्र (बैंक कॉरेस्पॉन्डेंट) प्रशिक्षित नहीं हैं और गांवों में मोबाइल सेवा बहुत खराब है। बैंक खाता खोलने के लिए केवाईसी जरूरी है और गांवों में केवाईसी करवाना मुश्किल है। गरीब लोगों के लिए इंश्योरेंस प्रोडक्ट को समझाना बहुत मुश्किल है और पहले भी नो-फ्रिल अकाउंट सफल नहीं हुए हैं। खाता खोलने के बाद ट्रांजैक्शन होगा ही ये कहना मुश्किल है और अगर इससे फायदा नहीं होगा तो बैंक इस योजना में दिलचस्पी नहीं लेंगे।
इसके साथ ही अधूरे हाइवे प्रोजेक्ट को पूरा करने का रास्ता जल्द साफ हो सकता है। नेशनल हाइवे अथॉरिटी लंबे समय से लटके प्रोजेक्ट के लिए एक अलग कंपनी बनाने जा रही है जो पैसे की कमी से जूझ रहे डेवलपर्स को प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए फंड उपलब्ध कराएगी। साथ ही ये कंपनी पर्यावरण समेत दूसरी मंजूरी जल्द दिलाने के लिए खुद पहल करेगी।
एनएचएआई की नई कंपनी अधूरे प्रोजेक्ट्स के लिए ना केवल पैसे का इंतजाम करेगी। बल्कि प्रोजेक्ट को क्लियरेंस दिलाने में भी मदद करेगी। इस कंपनी में एनएचएआई के अलावा बैंक और दूसरे वित्तीय संस्थान भी शामिल होंगे। जो एनएचएआई के साथ इस कंपनी में अपना पैसा लगाएंगे। एनएचएआई ने बैंको के संगठन आईबीए यानी इंडियन बैंकर्स एसोसिएशन को इस बारे में प्रस्ताव भेज दिया है। फिलहाल इस नई कंपनी पर फैसला एनएचएआई की अगली बोर्ड बैठक में होने की उम्मीद है।
जरूरी क्लीयरेंस हासिल करने में लगने वाले लंबे वक्त और देर के चलते लागत बढ़ने से बैंक और वित्तीय संस्थान पेंडिंग प्रोजेक्ट में पैसा लगाने को तैयार नहीं हैं। लेकिन मंत्रालय का मानना है कि हाइवे रेगुलेटर एनएचएआई के शामिल होने की वजह से नई कंपनी के जरिए पैसा जुटाने में कोई अड़चन नहीं आएगी।
मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, प्रोजेक्ट के जिस हिस्से का काम नहीं पूरा हो सका है उसे नई कंपनी खुद बनाएगी। प्रोजेक्ट पूरा होने पर कंपनी टोल के जरिए अपनी लागत ब्याज समेत वसूल कर लेगी। या फिर अधूरे हिस्से को पूरा करने के लिए कंपनी डेवलपर को कर्ज देगी। और प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद डेवलपर को सबसे पहले टोल कलेक्शन से कंपनी को ब्याज समेत रकम वापस लौटानी होगी। दोनों ही हालत में कंपनी की लागत निकालने के बाद ही प्रोजेक्ट को डेवलपर के हवाले किया जाएगा। इसके अलावा जरूरत हुई तो कंपनी प्रोजेक्ट का टेक ओवर भी कर सकती है। मंत्रालय ने एनएचएआई से उन प्रोजेक्ट की लिस्ट मांगी है जो कुछ हिस्से पर काम नहीं होने की वजह से पेंडिंग हैं । मंत्रालय का अनुमान है कि दस से पंद्रह प्रोजेक्ट इस कंपनी को सौंपे जा सकते हैं।
बाजार में लगातार छठे दिन कारोबार तेजी के साथ बंद हुआ और सेंसेक्स निफ्टी रिकॉर्ड ऊंचाई पर बंद हुए हैं। मजबूत अंतर्राष्ट्रीय संकेतों से घरेलू बाजारों को भी सहारा मिला और बाजार में उछाल देखा गया। मिडकैप और स्मॉलकैप 1 फीसदी से ज्यादा की तेजी के बाद बंद हुए। कारोबार के बंद होने के समय बीएसई का 30 शेयरों वाला प्रमुख इंडेक्स सेंसेक्स 29.71 अंक यानि 0.11 फीसदी की बढ़त के साथ 26420. के स्तर पर बंद हुआ। वहीं एनएसई का 50 शेयरों वाला प्रमुख इंडेक्स निफ्टी 23.25 अंक यानि 0.30 फीसदी चढ़कर 7897 के स्तर पर बंद हुआ।
ब्ल्यू ओशन कैपिटल एडवाइजर्स के फाउंडर और सीईओ निपुण मेहता का कहना है कि बाजार में लिक्विडिटी और नतीजों के अनुमान से रैली दिख रही है। बाजार के फंडामेंटल काफी मजबूत हो गए हैं। मार्च 2015 के नतीजों के अनुमान से बाजार में तेजी आ रही है। कई सेक्टर में रीरेंटिंग हुई है।
एफआईआई लगातर खरीदारी कर रहे हैं और घरेलू संस्थागत निवेशक भी अब बाजार में पोजीशन ले रहे हैं जिसके चलते बाजार में उछाल आ रहा है। हालांकि ऑटो, सीमेंट, आईटी के नतीजे बाजार की उम्मीद से कुछ कम रहे हैं जिसके चलते इनके शेयरों में उम्मीद से कम तेजी दिखेगी।
4 व्हीलर के लिए आने वाला समय अच्छा रहेगा। पैसेंजर व्हीकल्स के आंकड़े ज्यादा अच्छे नहीं आ रहे हैं। वहीं कमर्शियल व्हीकल का योगदान अर्थव्यवस्था में कम है और इकोनॉमी में बदलाव होने तक इसमें धीमी ग्रोथ रहेगी। हालांकि 4 व्हीलर में टाटा मोटर्स, मारुति सुजुकी और एमएंडएम में निवेश कर सकते हैं। ऑटो सेक्टर में इन शेयरों में निवेश बनाए रख सकते हैं।
कंज्यूमर ड्यूरेबल्स सेक्टर में कंपनियों की आय और मुनाफे में अच्छा प्रदर्शन देखने की उम्मीद है। इन कंपनियों पर कर्ज कम है और इनका कारोबारी दायरा बढ़ रहा है। ग्रामीण इलाकों में भी फ्रिज, एसी, कूलर, की बिक्री बढ़ रही है जिससे इनके उत्पादों की मांग बढ़ रही है। इस सेक्टर में लिक्विडिटी भी कम है और इनके मार्केट कैपिलाइजेशन भी ऊपर हैं।
प्रामेरिका म्यूचुअल फंड के एक्जिक्यूटिव डायरेक्टर और सीआईओ बी पी सिंह का कहना है कि बाजार की तेजी लिक्विड्टी के चलते नहीं बल्कि फंडामेंटल कारणों से है। तिमाही नतीजों के खत्म होने के बाद बाजार की अर्निंग में बढ़ोतरी हुई है। इसके अलावा कच्चे तेल की कीमतें नीचे आने और 90 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आने के उम्मीद के चलते बाजार में तेजी देखी जा रही है।
हालांकि लोगों को डर है कि अमेरिका में टेपरिंग होगी और ब्याज दरों में बढ़ोतरी होगी जिसके बाद वैश्विक बाजारों में दबाव आ सकता है। अगर अमेरिकी बाजारों से ब्याज दरें बढ़ने की खबर आती हैं तो भारतीय बाजारों में उतार-चढ़ाव आ सकता है जिसके बाद निवेशकों को खरीदारी के मौके देखने चाहिए। ऐसे में बाजार में गिरावट का इंतजार करें तो निचले हिस्से पर खरीदारी करने पर आगे जाकर अच्छे रिटर्न बन सकते हैं।
बी पी सिंह के मुताबिक इस साल के अंत तक निफ्टी 10,000 तक जा सकता है और इस संभावना को खारिज नहीं किया जा सकता है। बाजार में इतनी मजबूती है कि साल के अंत तक निफ्टी 10,000 के स्तर को छू सकता है। हालांकि ईराक और रूस-यूक्रेन से खराब खबरों का आना खत्म नहीं हुआ है लेकिन दूसरे बाजारों से आने वाली खराब खबरें भारतीय बाजार को ज्यादा प्रभावित नहीं करेंगी।
सेक्टर की बात करें तो बैंकिंग सेक्टर तेजी दिखाएंगे लेकिन बाजार की रैली में देर से हिस्सा लेंगे। आईटी कंपनियों को इस समय ज्यादा डिफेंसिव नहीं मानना चाहिए। एफएमसीजी और फार्मा के वैल्यूएशन उच्च स्तर पर पहुंच चके हैं तो इनमें ज्यादा तेजी की उम्मीद नहीं है। हालांकि आईटी शेयरों में अभी भी ओवरवेट की रेटिंग है।
इसके अलावा बाजार की तेजी में ऑयल मार्केटिंग कंपनियों और कैपिटल गुड्स में तेजी देखी जा सकती है। कच्चा तेल 90 डॉलर प्रति बैरल तक नीचे जा सकता है जिसके बाद भारत का वित्तीय घाटा कम हो जाएगा जो बाजार के लिए काफी अच्छी खबर हो सकती है। ऐसे में ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के शेयरों में भी तेजी आएगी और इनमें निवेश किया जा सकता है।
बंगाल के शहरीकरण और औद्योगीकरण का जायजा लेने के लिए वेस्ट कोलकाता की प्रेतनगरी का दर्शन अवश्य करें जहां गांव और खेत उजाड़कर सलेम समूह का अधबने उपनगर में हजारों के दादाद में बने मकानों में भूतों का डेरा है और अधबनी इमारतें बारिश और अंधड़ के हवाले हैं।
सिंहद्वार पर जो अश्वमेधी आठ घोड़े सजे थे ,वे भी यकबयक परिवर्तन की हवा में उड़ गये।
ताजा स्टेटस यह है कि दीदी की गैरहाजिरी में शहरी विकास मंत्री फिरहाद हकीम राज्य प्रशासन के कर्णधार हैं।
ताजा स्टेटस यह है कि फिलिमस्टार अपर्णा सेन और मंत्री श्यामाप्रसाद उर्फ श्यामापद से पूछताछ के बाद आज शारदा फर्जीवाड़े के कर्णधार सुदीप्त सेन ने बीच बजरिया हांडी फोड़ ही दी कि सांसद अभिनेत्री क शारदा समूह ब्रांड एंबेसैडर बतौर हर महीने दो लाख रुपये का भुगतान करता रहा है।
मनोरंजना और मतंग सिंह भी भुगतान हुए रकम के विपरीय पावती कम ही बता रहे हैं।
गायब रकम किसकी जेब में है,राज यही है।
इसी बीच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोमवार को शारदा चिटफंड घोटाले में अभिनेत्री व फिल्म निर्माता अपर्णा सेन तथा राज्य के वस्त्र मंत्री श्यामापद मुखर्जी को तलब कर पूछताछ की। ईडी अधिकारियों ने साल्टलेक के सीजीओ कॉम्प्लेक्स स्थित अपने कार्यालय में अपर्णा सेन से लगभग साढे पांच घंटे व मुखर्जी से लगभग साढे तीन घंटे तक कड़ी पूछताछ की।
राष्ट्रीय अवार्ड विजेता अपर्णा शारदा समूह की पत्रिका परमा की सम्पादक थीं। सारधा समूह ने वर्ष 2011 में पत्रिका लांच की थी। पिछले साल शारदा समूह के काले कारोबार के खुलासे के बाद पत्रिका बंद हो गई थी। मुखर्जी ने वर्ष 2009 में अपना बीमार सीमेंट कारखाना 4 करोड़ रूपए में सुदीप्त सेन को बेचा था। दोनों से इसी संबंध में पूछताछ की गई है।
सुदीप्त ने खरीदा था मंत्री का सीमेंट कारखाना
सूत्रों के अनुसार केन्द्रीय जांच एजेन्सी के अधिकारियों ने अपर्णा सेन से शारदा समूह की पत्रिका में उनकी नौकरी के करार, वेतन व अन्य सुविधाओं के लेन-देन, पत्रिका के प्रकाशन में प्रति माह होने वाले खर्च आदि के बारे में पूछताछ की। मंत्री से सीमेन्ट कारखाने की खरीद-बिक्री के बारे में पूछताछ की गई।
सूत्रों के अनुसार मंत्री ने बताया कि सुदीप्त सेन ने उन्हें 2.71 करोड़ रूपए दिए थे, जबकि सुदीप्त सेन ने पूछताछ में ईडी को बताया था कि उक्त कारखाना उन्होंने 4 करोड़ रूपए में खरीदा था। ईडी अधिकारी अब यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि शेष 1. 30 करोड़ रूपए कहां गए? सुदीप्त सेन ने घाटे में चल रहे कारखाने को 4 करोड़ रूपए में क्यों खरीदा? इसके लिए सुदीप्त सेन परकिसी ने कोई दबाव बनाया था अथवा नहीं। इस सौदे में और कौन-कौन लोग शामिल थे?
पूछताछ के बाद ईडी कार्यालय से बाहर आई अपर्णा सेन ने मीडिया कर्मियों को बताया कि उनसे परमा पत्रिका में नौकरी से संबंधित सवाल किए गए। अधिकारियों ने उनसे सारधा समूह के कारोबार से संबंधित सवाल भी पूछे। अपर्णा सेन ने कहा कि वे चाहती हैं कि ठगी के शिकार लोगों को उनके पैसे वापस मिले। इसलिए जांच में वे पूरा सहयोग करेंगी।
इसी बीच करोड़ों रुपये के सारधा चिटफंड घोटाले की जांच कर रही सीबीआई ने मामले में एक लोकसभा सांसद की संलिप्तता उजागर की है। सारधा के मिडलैंड पार्क स्थित कार्यालय से जब्त हार्ड डिस्क व कंप्यूटर की छानबीन में सांसद व कोलकाता मैदान स्थित एक क्लब के अधिकारी के नाम पता चला। सीबीआई जल्द उन्हें तलब करने की तैयारी में है।
इससे पहले कोलकाता मैदान के दो क्लब व राज्यसभा के एक सांसद का नाम सामने आया था। जांच में पता चला है कि लोकसभा सांसद ने सुदीप्त सेन पर दबाव बनाकर इस क्लब को लाखों रुपये दिलवाए थे।
सीबीआई पता कर रही है कि सुदीप्त ने उस क्लब को कुल कितने रुपये दिए थे? इससे पहले ईस्ट बंगाल क्लब के अधिकारी देवब्रत सरकार का नाम सामने आने पर पूछताछ के लिए सीबीआई के जांच अधिकारियों ने उन्हें तलब किया था।
राजस्थान पत्रिका के मुताबिक सीबीआई ने दस हजार करोड़ रूपए के सारधा चिट फंड घोटाले की जांच के सिलसिले में बीजू जनता दल (बीजद) के एक विधायक के आवास सहित 56 जगहों पर छापे मारे। सीबीआई के एक अधिकारी ने बताया कि एजेंसी की अलग-अलग टीमों ने मुंबई, ओडिशा के बेहरामपुर, बालेश्वर, भद्रक और भुवनेश्वर के 49 स्थानों पर छापामारी की। बीजद के विधायक पर्वत त्रिपाठी एवं अन्य पांच के आवास की भी तलाशी ली गई। सीबीआई की एक टीम ने बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के नेता रजत मजूमदार के घर भी छापा मारा।
सूत्रों के मुताबिक छापे में सीबीआई ने कई अहम दस्तावेज जब्त किए, जो घोटाले में शामिल कंपनियों के बीच लेन-देन से संबंधित थे। सारधा समूह के प्रमुख सुदीप्त सेन के घर पर भी छापा मारा गया। इससे पहले 14 अगस्त को सीबीआई ने देश में 30 स्थानों पर छापे मारे थे। कोलकाता में 22, नई दिल्ली में चार, गुवाहाटी में तीन तथा ओडिशा में एक जगह तलाशी ली गई थी।
सुदीप्त से उपहार लेने वालों की तलाश
सीबीआई ने सुदीप्त सेन से उपहार लेने वाले नेताओं की तलाश शुरू कर दी है। जांच एजेंसी बंगाल के एक सांसद के पुत्र के लिए खरीदी गई फेरारी कार के साथ ही दिल्ली और मुम्बई में सुदीप्त सेन की ओर से नेताओं के लिए खरीदे गए फ्लैट की तलाश कर रही है।
सीबीआई के एक अधिकारी ने दावा किया कि नेताओं और सुदीप्त सेन का नेटवर्क इतना मजबूत था कि कई नेता लोगों से धन संग्रह कर सेन को देते थे।
पुलिस के खिलाफ 4 पेन ड्राइव लेने का आरोप
सारधा समूह के वाणिज्यिक प्रबंधक ने घोटाले की जांच कर रहे एक पुलिस अधिकारी के खिलाफ चार पेन ड्राइव और सीजर लिस्ट बिना रसीद लेने का आरोप लगाया है। सीबीआई और ईडी से की गई अपनी शिकायत में प्रबंधक ने कहा है कि कोलकाता पुलिस के जांच अधिकारी ने उनसे चार पेन ड्राइव सीजर लिस्ट ले ली, लेकिन उन्हें उसकी रसीद नहीं दी। पेन ड्राइव में लेन देन का लेखा-जोखा था। इस बारे में पूछे जाने पर संयुक्त आयुक्त (अपराध) पल्लव कान्ति घोष ने बताया कि मामले की जांच-पड़ताल की जाएगी।
अब हो रही राजनीति-तृणमूल
घोटाले की सीबीआई जांच तेज होने और तृणमूल नेता रजत मजूमदार के घर की तलाशी लेने पर तृणमूल कांग्रेस ने शनिवार को कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की। पार्टी के वरिष नेता और राज्य के शहरी विकास मंत्री फिरहाद हकीम ने इसे राजनीति करार दिया और कहा कि घोटाले की जांच के नाम पर अब राजनीति की जा रही है। इससे पहले राज्य सरकार घोटाले में अपनी जमा पूंजी गंवाने वाले छोटे निवेशकों के पैसे लौटाने की कोशिश कर रही थी।
डर रही है तृणमूल
माकपा के वरिष नेता सुजन चक्रवर्ती ने कहा कि सीबीआई जांच के तेवर देख कर तृणमूल कांग्रेस डर गई है। उसे अपने चेहरे से नकाब उठने का भय सताने लगा है। इसलिए उसके नेता सीबीआई जांच को राजनीति बताने लगे हैं।
कुएं में छुपे मिले निदेशक
सीबीआई ने ओडिशा स्थित एक चिटफंड कंपनी अर्थ तत्व के निदेशक को करोड़ों रूपए के फर्जी निवेश घोटाले में शनिवार को गिरफ्तार कर लिया। निदेशक पिछले एक माह से जांच एजेंसी को गच्चा दे रहे थे। संबित खुंटिया नामक इस निदेशक के घर जब सीबीआई अधिकारी पहुंचे तो उनकी पत्नी ने बताया कि वह घर पर नहीं हैं। लेकिन जांच एजेेंसी के पास उनके घर में ही छिपे होने की पुख्ता जानकारी थी। तलाशी के दौरान खुंटिया घर के पिछवाड़े बने एक कुएं में छिपे नजर आए। उन्होंने वहां से निकालकर गिरफ्तार कर लिया गया।
श्रमिक-मालिक संबंधों में भारत की स्थिति खराब: रिपोर्ट
कर्मचारी-नियोक्ता रिश्तों के मामले में भारत की स्थिति काफी खराब है। मॉर्गन स्टेनली की एक रिपोर्ट के अनुसार श्रमिक-मालिक संबंधों के मामले में भारत सूची में 61वें स्थान पर है। इस मामले में भारत मेक्सिको, थाइलैंड और फिलिपींस जैसे देशों से भी पीछे है।
भारत के श्रम बाजार को क्या रोक रहा है शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा गया है कि श्रमिक-नियोक्ता के बीच सहयोग के मामले में भारत 61वें स्थान पर है। सूची में मेक्सिको 44वें, थाइलैंड 37वें तथा फिलिपींस 34वें स्थान पर है।
इस मामले में चीन की स्थिति भारत से कुछ ही बेहतर है। सूची में चीन 60वें स्थान पर है। रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्पादक रोजगार सजन के मामले में भारत की स्थिति सुस्त है।
इसमें कहा गया है, देश में उत्पादक क्षेत्र रोजगार के सजन के मामले में सबसे बड़ी अड़चन श्रम बाजार के नियमन हैं। इसके अलावा अन्य कारक मसलन कमजोर ढांचा आदि भी इसकी वजहों में हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में श्रम बाजार में सबसे बड़ा मुद्दा है कर्मचारियों को निकालने में लचीलेपन का अभाव। यदि किसी नियोक्ता ने 100 से अधिक कर्मचारियों की नियुक्ति की है, तो उसे कर्मचारी को निकालने के लिए इसे अधिसूचित करना होगा और संबंधित सरकारी प्रशासन की अनुमति लेनी होगी। रिपोर्ट के अनुसार अन्य देशों में इस तरह की कड़ी शर्तें नहीं हैं। सिर्फ पाकिस्तान व श्रीलंका में इस तरह की शर्तें हैं।
इसमें बताया गया है कि नौकरी पर रखने व छंटनी के बारे में विश्व बैंक के इंडेक्स में बांग्लादेश 25वें, चीन 28वें और पाकिस्तान 35वें स्थान पर है। भारत इस मामले में 52वें स्थान पर है।
कुल 148 देशों में श्रम बाजार दक्षता सूची में भारत 99वें स्थान पर है। इस मामले में चीन 34वें, ब्राजील 92वें और फिलिपींस 99वें स्थान पर है।
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