हम बाकी जो हैं गिरगिट बने सत्ता में धंस जायेंगे।लक्षण यही है और स्थाईभाव भी यही।अलाप प्रलाप भी वहीं।
पलाश विश्वास
নিজস্ব সংবাদদাতা
৩০ অগস্ট, ২০১৪
विकास दर का फरेब फिर लबालब है।दो साल में सबसे तेज विकास दर 5.7 अच्छे दिनों की सेंचुरी के बाद सबसे महती मीडिया खबर है।अर्थव्यवस्था पर 75 हजार करोड़ के बोझ के साथ सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकिंग को चूना लगाने के चाकचौबंद इंतजाम और बैंकिंग में निजी क्षेत्र और औद्योगिक घरानों के वर्चस्व के स्थाई बंदोबस्त के बाद आंकड़ा यह है।अर्थव्यवस्था की बुनियाद में लेकिन कोई हलचल नहीं है।बजरिये आधार और नकदी मुक्त प्रवाह से एकमुश्त त्योहारी सीजन में खरीददारी को लंबा उछाला और सब्सिडी खत्म का किस्सा खत्म।डीजल का भाव बाजार दर के मुताबिक है और रिलायंस का बाकी बचा कर्ज उतारने की बारी है।तेल और गैस में सब्सिडी घाटा पाटने के चमत्कार से ही वृद्धिदर में यह इजाफा और रेटिंग एजंसियां बल्ले बल्ले।खनन, मैनुफैक्चरिंग और सेवा क्षेत्र के प्रदर्शन में सुधार से चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर उछलकर 5.7 प्रतिशत पर पहुंच गई। पिछले ढाई साल में दर्ज यह सबसे ज्यादा वृद्धि है।वित्त मंत्रालय की ताजा रिपोर्ट के अनुसार चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में अग्रिम कर प्रवाह अवधि को छोड़कर, नकदी की स्थिति संतोषजनक रही है।
सरकार ने सात शहरों के कायापलट की तैयारी कर ली है। इस योजना के तहत वाराणसी, मथुरा, अमृतसर, गया, कांचीपुरम, विलांगकनी और अजमेर भी शामिल है।
ताजा खबर यह है कि कोयला घोटाले में कुमार मंगलम बिड़ला को बड़ी राहत मिली है। सीबीआई ने कुमार मंगलम बिड़ला के खिलाफ ये मामला बंद कर दिया है, और बिड़ला के खिलाफ क्लोजर रिपोर्ट दायर की है। दिल्ली हाई कोर्ट सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट पर 1 सितंबर को सुनवाई करेगा।
इस मामले में कुमार मंगलम बिड़ला के अलावा दूसरे आरोपियों को भी सीबीआई से राहत मिली है, जिसमें पूर्व कोयला सचिव पी सी परख का नाम भी शामिल हैं। सीबीआई को कुमार मंगलम बिड़ला और पी सी परख के खिलाफ तालाबीरा कोल ब्लॉक आवंटन में कोई सबूत नहीं मिले, जिसके कारण क्लोजर रिपोर्ट दायर की।
इसी बीच शारदा फर्जीवाड़े मामले में मंत्री मदन मित्र से लेकर राज्यसभा सांसद मथून चक्रवर्ती तक सारे के सारे दिग्गज उज्जवल चेहरे अब सीबीआई शिकंजे में हैं तो दीदी लालू नीतीश की तर्ज पर बंगाल में भाजपा विरोधी वाम तृणमूल गठबंधन की गुहार लगा रहे हैं और केंद्र सरकार की सारी पीपीपी परिकल्पनाओं को भी अंजाम दे रही है।डायरेक्ट टेक्स कोड से लेकर जीएसटी और राज्यसभा में समर्थन तक दीदी कसरिया हैं।
इसी बीच शारदा घोटाले में रिजर्व बैंके के चार अफसर और सेबी के तमाम अफसरों के नाम भी सामने आने लगे हैं,जिनतक पैसा पहुंचाया जाता रहा है।मिथून को भी सर्वोच्च शिखर तक जनगण की जमा पूंजी स्तानांतरित करने के आपरोप में घेरा जा रहा है।
बंगाल में दीदी से लेकर मदन मित्र सीबीआई के खिलाफ जिहाद के मूड में है और इसी जिहाद की गूंज वाम तृणमूल एकता पेशकश है।
यह दिलच्सप वाकया मुक्त बाजारी अर्थव्वस्था के राजनीतिक तिलिस्म को समझने में बेहद काम का है।
इसी बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जापान के ओसाका एयरपोर्ट पहुंच गए हैं। यह क्योटो शहर से 45 किलोमीटर दूरी पर है। मोदी आज सुबह ही अपने पहले जापान दौरे पर रवाना हुए थे। मोदी के इस दौरे से दोनों देशों को काफी उम्मीदें हैं। प्रधानमंत्री सीधे जापान की अध्यात्मिक नगरी कहे जाने वाले क्योटो शहर पहुंचेंगे। यहां जापानी प्रधानमंत्री शिंजो अबे खुद मोदी का स्वागत करेंगे। यहां मोदी रिश्तों की एक नई परिभाषा लिखेंगे, विकास का नया पैमाना गढ़ेंगे। भूटान, ब्राजील और नेपाल का दिल जीतने का बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज जापान का दिल जीतने के लिए जा रहे हैं।अमेरिकी पूंजी के बाद अब जापानी पूंजी के इस्तकबाल की तैयारी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि उनकी सरकार ने 100 दिन के अपने कार्यकाल में अर्थव्यवस्था को मुश्किल स्थिति से निकालकर इसमें स्थिरता ला दी है। इसके साथ ही उन्होंने विदेशी निवेश के रास्ते में आने वाली अड़चनों को दूर करने का भी वादा किया।
मोदी ने कहा, मेरा मानना है कि देश जिस मुश्किल दौर से गुजर रहा था, उससे हम आगे निकल चुके हैं। इस सरकार के 100 दिन के कार्यकाल में हमने स्थिरता हासिल की है और जो लगातार गिरावट का दौर था, उसे रोका है।
जापान की यात्रा से पहले नई दिल्ली में जापानी मीडिया से बातचीत में मोदी ने कहा, हमें अब रनवे पर आगे बढ़ना है, मुझे पूरा विश्वास है कि बहुत जल्द हम और नई ऊंचाईयों पर पहुंचेंगे।
नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की नई सरकार ने इस साल 26 मई को सत्ता संभालने के बाद देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) बढ़ाने के लिए कदम उठाए हैं।
मोदी ने कहा, मेरा मानना है कि सरकार की सही मंशा और नीतिगत स्थिरता के बारे में सही संकेत जाने से एफडीआई प्रवाह अपने आप ही होने लगेगा, क्योंकि भारत एक बेहतर निवेश स्थल है। हम बातचीत के लिए तैयार हैं और एफडीआई आकर्षित करने के लिए सभी तरह की अड़चनें दूर करेंगे।
मोदी सरकार ने रेलवे में एफडीआई के नियमों को उदार बनाया है। हाई स्पीड ट्रेन सहित रेलवे के विभिन्न क्षेत्रों में ऑटोमेटिक रूट से 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति दी है। इसके अलावा रक्षा क्षेत्र में मंजूरी के जरिये एफडीआई सीमा को मौजूदा 26 प्रतिशत से बढ़ाकर 49 प्रतिशत कर दिया।
एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट बैंक के बारे में पूछे गए सवाल पर प्रधानमंत्री ने कहा कि चीन ने इस बैंक के संस्थापक सदस्य के तौर पर शामिल होने के लिए भारत को आमंत्रित किया है। उन्होंने कहा... भारत इस निमंत्रण पर विचार कर रहा है। भारत हर उस नए बहुपक्षीय विकास बैंक को पसंद करेगा जो कि उन सुधारों को शामिल करेगा, जिसके लिए हम मौजूदा अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों में करने के लिए वकालत कर रहे हैं। मोदी ने कहा कि भारत की इच्छा है कि वैश्विक बचत का इस्तेमाल विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में ढांचागत क्षेत्र के विकास में किया जाए।
इसी बीच,अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा है कि दुनिया में इससे पहले अमेरिकी नेतृत्व की इतनी अधिक जरूरत कभी नहीं रही। इसके साथी ही उन्होंने कहा कि अमेरिका की चीन या रूस से कोई प्रतिस्पर्द्धा नहीं है। ओबामा ने न्यू यॉर्क में अपनी पार्टी के लिए धन जमा करने के कार्यक्रम में कहा, 'सच्चाई यह है कि दुनिया में हमेशा से ही अफरातफरी रही है। अब हम सोशल मीडिया और अपनी चौकसी की वजह से लोगों द्वारा झेली जा रही कठिनाइयों को बेहतर ढंग से देख पा रहे हैं।'
इसी बीच, अमेरिका ने कहा है कि आतंकी संगठन आईएसआईएस द्वारा पैदा किए जा रहे खतरे से निपटने के लिए एक वैश्विक संगठन की आवश्यकता है। यह संगठन इराक और सीरिया के एक बहुत बड़े हिस्से पर कब्जा कर चुका है तथा इसके विश्व के अन्य हिस्सों में फैलने का खतरा है। अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी ने न्यूयॉर्क टाइम्स में लिखा है कि इस बात के पक्के सबूत हैं कि यदि इस संगठन को निरंकुश छोड़ दिया गया तो यह केवल सीरिया और इराक से ही संतुष्ट नहीं रहेगा। उन्होंने कहा कि केवल हवाई हमलों से ही इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) को नहीं हराया जा सकता है।
इसी के मध्य आज फेसबुक खोलते ही खबर मिली आधुनिक भारत के इतिहासकार विपिनचंद्रा जी नहीं रहे। इतिहासकार बिपिन चंद्रा नहीं रहे। शनिवार सुबह नींद में ही उनका निधन हो गया। वह 86 वर्ष के थे। परिजनों ने बताया कि उन्होंने अपने गुड़गांव स्थित घर में अंतिम सांस ली। 'द मेकिंग ऑफ मॉडर्न इंडिया: फ्रॉम मार्क्सा टू गांधी', 'हिस्ट्री ऑफ मॉडर्न इंडिया' और 'द राइज एंड ग्रोथ ऑफ इकोनोकिक नेशनलिज्म इन इंडिया' जैसी पुस्तकों के लेखक बिपिन चंद्रा वर्ष 2004-2012 के बीच नेशनल बुक ट्रस्ट के अध्यक्ष भी रहे।
जनकल्याण का स्थाई भाव यही है कि पेट्रोल की कीमतों में 1.09 रुपए की कटौती की गई है। वहीं डीजल की कीमतों में 50 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी कर दी गई है।
गौरतबल है कि अमर उजाला ने पहले ही बताया था कि पेट्रोल की बढ़ती कीमतों से आम जनता को इस बार कुछ राहत मिलने की उम्मीद है। पिछले दो सप्ताह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में गिरावट को देखते हुए पेट्रोल की कीमतों में कमी की गई है।
बृहस्पतिवार को होने वाली पेट्रोल कीमतों की समीक्षा के बाद यह फैसला लिया गया। अप्रैल के बाद यह यह पहला मौका है जब पेट्रोल के दाम घटे हैं। इराक संकट के चलते अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने लगी थीं।
इसी के मध्य लेकिन इकोनॉमी के अच्छे दिन लौट आए हैं। इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में इकोनॉमी में शानदार रिकवरी देखने को मिली है और जीडीपी 5.7 फीसदी पर पहुंच गई है जो 2.5 साल की सबसे तेज रफ्तार है।
साल दर साल आधार पर वित्त वर्ष 2015 की अप्रैल-जून तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 4.7 फीसदी से बढ़कर 5.7 फीसदी पर पहुंच गई है। अप्रैल-जून तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 10 तिमाहियों में सबसे ज्यादा रही है।
सालाना आधार पर वित्त वर्ष 2015 की पहली तिमाही में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ -1.2 फीसदी से बढ़कर 3.5 फीसदी पर पहुंच गई है। हालांकि सालाना आधार पर अप्रैल-जून तिमाही में कृषि सेक्टर की ग्रोथ 4 फीसदी से घटकर 3.8 फीसदी रही।
सालाना आधार पर वित्त वर्ष 2015 की पहली तिमाही में माइनिंग सेक्टर की ग्रोथ -3.9 फीसदी से बढ़कर 2.1 फीसदी पर पहुंच गई है। सालाना आधार पर अप्रैल-जून तिमाही में इलेक्ट्रिसिटी सेक्टर की ग्रोथ 3.8 फीसदी से बढ़कर 10.2 फीसदी पर पहुंच गई है।
सालाना आधार पर वित्त वर्ष 2015 की पहली तिमाही में कंस्ट्रक्शन सेक्टर की ग्रोथ 1.1 फीसदी से बढ़कर 4.8 फीसदी पर पहुंच गई है। सालाना आधार पर अप्रैल-जून तिमाही में ट्रेड, होटल सेक्टर की ग्रोथ 1.6 फीसदी से बढ़कर 2.8 फीसदी पर पहुंच गई है।
एलएंडटी इंफ्रा फाइनेंस के सुनीत माहेश्वरी के मुताबिक नई सरकार के आने के बाद मांग और मैन्युफैक्चरिंग में जरूर बढ़त देखने को मिल रही है, लेकिन असली तस्वीर दो तिमाही के जीडीपी आंकड़ों के बाद ही पता चलेगी। इंडिया रेटिंग्स के सुनील कुमार सिन्हा के मुताबिक ग्रोथ में तो सुधार दिख रहा है, लेकिन फिलहाल ब्याज दरें घटने की कोई उम्मीद नहीं है।
क्रिसिल के डी के जोशी ने जीडीपी के ताजा आंकडों को उम्मीद से बेहतर बताया है लेकिन कहा है कि 7 फीसदी ग्रोथ के लिए अभी इंतजार करना होगा। वहीं डी के जोशी को लगता है कि अभी ब्याज दरों में राहत मिलने की उम्मीद नहीं है। डी के जोशी के मुताबिक ब्याज दरों में कटौती के लिए अगले साल तक इंतजार करना होगा।
पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने जीडीपी ग्रोथ में रिकवरी को यूपीए सरकार के फैसलों का असर बताया है। पी चिदंबरम ने अपने बयान में कहा है कि यूपीए सरकार ने मैन्युफैक्चरिंग में सुधार के लिए किए कदम उठाए थे जिसका असर दिखने लगा है। पूर्व वित्त मंत्री ने भरोसा जताया कि पहली तिमाही में 5.7 फीसदी की जीडीपी ग्रोथ अर्थव्यवस्था की सही स्थिति दर्शाती है और 2014-15 में इकोनॉमी में 5.5 फीसदी से ज्यादा की ग्रोथ दिखेगी।
उन्हें श्रद्धांजलि।
एक एक करके सभी चले जायेंगे,हम बाकी जो हैं गिरगिट बने सत्ता में धंस जायेंगे।लक्षण यही है और स्थाईभाव भी यही।अलाप प्रलाप भी वहीं।इतिहास के केसरिया कारपोरेट जायनी नस्ली समय में विपिनचंद्र जी का जाना दुस्समय के अंधेरे को और गाढ़ा कर गया है।
इसे समझने के लिए पढें,पंकज चतुर्वेदी ने उनके बारे में जो लिखा हैः
हमोर गुरूजी, इतिहासविद, प्रख्यात पंथनिरपेक्ष प्रो विपिन चंद्रा नहीं रहे, वे पांच साल हमारे अइध्यक्ष रहे व उन्होंने कई बेहतरीन पुस्तकों का योगदान दिया, आप का लेखन हर समय जिंदा रहेगा विपिन चंद्रा जी
बिपन चंद्रा से सम्बंधित मुख्य तथ्य
• बिपन चंद्रा वर्ष 1985 में भारतीय इतिहास कांग्रेस के अध्यक्ष (General President) रहे.
• बिपन चंद्रा वर्ष 1993 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सदस्य बने.
• उन्होंने नई दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में ऐतिहासिक अध्ययन केंद्र की अध्यक्षता की.
• बिपन चंद्रा वर्ष 2004 से 2012 तक नेशनल बुक ट्रस्ट, नई दिल्ली के अध्यक्ष रहे.
• बिपन चंद्रा का जन्म हिमाचल प्रदेश की कांगड़ा घाटी में 1928 को हुआ था.
बिपन चंद्रा की प्रमुख पुस्तकें
• आर्थिक राष्ट्रवाद का उदय और विकास
• स्वतंत्रता के बाद भारत (India after Independence)
• इन द नेम ऑफ़ डेमोक्रेसी: जेपी मूवमेंट एंड इमर्जेसी (In the Name of Democracy: JP Movement and Emergency)
• आधुनिक भारत में राष्ट्रवाद और उपनिवेशवाद (Nationalism and Colonialism in Modern India)
• सांप्रदायिकता और भारतीय इतिहास-लेखन (Communalism and the Writing of Indian History)
• भारत का आधुनिक इतिहास (History of Modern India)
• महाकाव्य संघर्ष (The Epic Struggle)
• भारतीय राष्ट्रवाद पर निबंध (Essays on Indian Nationalism)
हमारे युवामित्र सत्यनारायण जी ने मार्के की बात लिखी हैः
रोजगार छीनो , जीरो अकाउंट खाता खोलो
फिर 5000 का कर्जा दो (उसके लिए आधार कार्ड भी अनिवार्य)
कर्ज वापसी ना करने पर रहे सहे लत्ते कपड़े भी छीन लो
और इस तरह हमारे प्रधानमंत्री ने अर्थव्यवस्था मे उन लोगों की “भागीदारी” सुनिश्चित कर दी है जो सुई से लेकर जहाज बनाते हैं और जिनके दम पर यह सारी अर्थव्यवस्था है।
इससे बेहतर तस्वीर मैं आंक नहीं सकता।धन्यवाद सत्यनारायण।
आगे सत्यनारायण ने यह भी लिखा हैः
वैसे जोशी आडवाणी वाजेपेयी के साथ जो हो रहा है वो अच्छा ही है। ये लोग फासीवादी राजनीति के मुख्य चेहरे थे व अपने सक्रिय कार्यकाल में इन्होने जो जो दंगे करवाये (प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर), देशी विदेशी लूटेरों को भारत को बेचा (वाजपेयी ने इसके लिये विशेष विनिवेश मंत्रालय बनवाया था), उसके बाद इनके लिए दिल के किसी कोने में सहानुभूति नहीं होनी चाहिए।
फासीवादियों आपस में लड़ो, एक दूसरे को नंगा करो, हमारी “दुआएं” भी तुम्हारे साथ हैं।
यह गौरतलब है खासकर इस संदर्भ में देश बेचो अभियान हिंदू राष्ट्र का अश्वमेधी अभियान तो स्वदेशी का छद्म भी उन्हीं का।ऐसा हम पिछले 23 साल से नाना प्रकार के विदेशी वित्त पोषित जनांदोलनों में देखते रहे हैं,जो जल जंगल जमीन नागरिकता और प्रकृति और पर्यावरण की बातें खूब करते हैं,सड़क पर उतरते भी हैं प्रोजेक्ट परिकल्पना के तहत,लेकिन होइहिं सोई जो वाशिंगटन रचि राखा।
इन फर्जी जनांदोलनों से वर्गों का ध्रूवीकरण लेकिन नहीं हुआ है और न इनका कोई प्रहार जनसंहारक राज्यतंत्र पर है किसी भी तरह।हर हाल में बहुराष्ट्रीय कारपोरेट हित ही साधे जाते हैं,क्योंकि दरअसल असली कोई जनांदोलन है ही नहीं।
केसरिया कारपोरेट उत्तरआधुनिक मनुस्मृति नस्ली राजकाज का सार जो न्यूनतम सरकार,अधिकतम प्रशासन है,यह मनुस्मृति का तरह ही दरअसल एक मुकम्मल अर्थव्यवस्था है।
हिंदू राष्ट्र के झंडेवरदार जो हैं वहीं अब जनांदोलनों के दारक वाहक भी।पुरातन गैरसरकारी संगठनों के नेटवर्क में बारुदी सुरंगे बसा दी गयी है क्योंकि उस छाते की आड़ में भारी संख्या में प्रतिबद्ध और सक्रिय लोग भी हैं।
अब सीधे प्रधानमत्री कार्यालय से जुड़ा केसरिया एनजीओ नेटवर्क का आगाज है तो संघ परिवार की तमाम शाखाएं किसान,मजदूर,छात्र,मेधा संगठनों की ओर से अखंड जाप स्वदेशी का हो रहा है।
इसी स्वदेशी का मूल मंत्र लेकिन फिर वही हिंदी हिंदू हिंदुस्तान का वंदेमातरम है।
वे विदेशी प्रत्यक्ष निवेश और जीएम बीजों का विरोध कर रहे हैं तो विनिवेश और बेदखली का भी।यह जनांदोलनं को हाईजैक करने का नया दौर है।जिसे मीडिया स्वदेशी सूरमाओं का धर्मयुद्ध बतौर खूब हाई लाइट कर रहा है।
समावेशी विकास कामसूत्र की ये मस्त धारियां हैं,इसके सिवाय कुछ नहीं।जैसे हमारे पुरातन सीईओ शेखर गुप्ता महामहिम का वैज्ञानिक केसरिया चंतन मनन लेखन है वैसा ही इतिहास बोध है हिंदुय़ाये तत्वों का जो इतिहास भूगोल वनये सिरे से गढ़ने पर आमादा है।
फासीवादी दरअसल आपस में लड़ते नहीं है।लड़ाई सिर्फ संसदीय राजनीति की नौटंगी का अहम हिस्सा है और वे अपना एजंडा के बारे में सबसे प्रतिबद्ध लोग हैं तो हम अलग अलग द्वीप हैं,जिनके बीच कोई सेतुबंदन नहीं है क्योंकि सारे के सारे बजरंगवली तो उन्हींके पाले में हैं।
आज सुबह अखबार पढ़ने के बाद मोबाइल टाकअप के लिए मित्र की दुकान पर गया तो वहां एक करिश्माई चिकित्सक के दर्शन हो गये,जो वृद्धावस्था में अपने सारे बाल नये सिरे से उगाने में कामयाबी का दावा कर रहे थे।वे प्राकृतिक चिकित्सक हैं और निःशुल्क चिकित्सा करते हैं।मुहल्ले में उन्होंने पचास लाख टकिया फ्लैट खरीदा है और स्वयंसेवक हैं।उन्होंने भारत दर्शन का प्रवचन भी सुनाया।उनकी आमदनी के बारे में पूछा तो बोले बेटी कांवेंट हैं ,सारी भाषाएं जानती हैं और खूब कमा रही हैं।वे सारे रोग निर्मूल करने का प्राकृतिक स्वदेशी निदान बांटते फिर रहे हैं।
उनका कामकाज और नमो महाराज का राजकाज मुझे पता नहीं क्यों समानधर्मी लग रहा है।करिश्मे और चमत्कार के तड़के में स्वदेशी और आमदनी विदेशी।
संजोग से सांप्रदायिक राजनीति,द्विराष्ट्र सिद्धांत की मौलिक मातृभूमि बंगाल में ऐसे तत्वों की बाढ़ आ गयी है और देशभर में पद्मप्रलयभी सबसे तेज यही है और गुजराती पीपीपीमाडल के कार्यान्वयन में भी बंगाल सबसे आगे।आर्थिक सुधारों को लागू करने में,सबकुछ विनियमित विनियंत्रित करने में बंगाल जो कर रहा है,मोदी सरकार उसके पीछे पीछे है।
हाल में एक्सकैलिबर स्टीवेंस ने लिखा कि बंगाल में माकपा और तृणमूल गठजोड़ का इंतजार है लोगों को,तो धुर मार्क्सवादियों ने लिखा,ऐसा कभी नहीं होगा।
मजा यह है कि बंगाल में लाल का नामोनिशान मिटाने पर अमादा,वामासुर वध करने वाली बंगाल की महिषमर्दिनी देवी का अब जैसे सेजविरोधी आंदोलन से पीपीपी गुजराती कायकल्प हुआ है,उसी तरह मोदी केसरिया विरुद्धे अपनी जिहाद में वे अब लालू नीतीश की तर्ज पर बंगाल में संघ परिवार की बढ़त के लिए माकपा से गठबंधन बनाने की सार्वजनिक पेशकश कर दी।जाहिर है कि पत्रपाठ माकपाइयों ने इस प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया है।
बंगाल में इन दिनों सीबीआई का जाल भयंकर है।सारी हस्तियां चंगुल में है।नेता,मंत्री सांसद,स्टार,मेगा स्टार,मैदान,उत्सव सबकुछ माइक्रोसेकोप की निगरानी में हैं।
दीदी का मोदी के खिलाफ जिहाद दरअसल सीबीआई के खिलाफ जिहाद है।उनके सारे सिपाहसालार घिरते जा रहे हैं।शह मात की बारी बस बाकी है।आखिरी चाल में मात खाने से पहले वे तिनके के सहारे में मंझधार में हैं और तिनके को इस डूब की परवाह है नहीं।
इस प्रलय परिदृश्य में जबकि खतरों में घिरे हैं वाम तृणमूल शिविर और केंद्र की केसरिया शिविर रोजगार का पार्टीबद्ध इंतजाम से कैडरतंत्र का अपहरण करने लगा तो ना ना करते करते करते कब मुहब्बत का इकरार हो जाये,देखना यही बाकी है।
युवा तुर्क अभिषेक ने लिखा हैः
हिंदू राष्ट्र संबंधी बयानबाज़ी ने फ्रांसिस डिसूज़ा से लेकर नज़मा हेपतुल्ला तक वाया मोहन भागवत लंबा सफ़र तय कर लिया, लेकिन इसमें एक कसर बाकी रह गई थी जिसे आज पुण्य प्रसून वाजपेयी ने पूरा कर दिया। प्रसूनजी बोले कि इतने बयान आ रहे हैं, आरएसएस की विचाधारा को फैलाया जा रहा है, तो क्यों नहीं सरकार इस संबंध में संविधान में एक संशोधन कर देती है?
ऐसा नहीं है कि प्रधानसेवकजी के मन में संविधान संशोधन जैसी कोई बात नहीं होगी, लेकिन एक पत्रकार उन्हें उनके एजेंडे पर नुस्खा क्यों सुझाए? और ये 'आर या पार' क्या है? अब तक तमाम हिंदूवादी सनक के बावजूद संघ ने 'आर या पार' की मंशा ज़ाहिर नहीं की है। उसका प्रोजेक्ट 2025 तक का है। प्रसूनजी को इतनी जल्दी क्यों है भाई?
संविधान संशोधन की सलाह देने के बाद प्रसूनजी रिवर्स लव जिहाद के कुछ फिल्मी मामले दिखाते हैं गानों के साथ। उदाहरणों समेत सुपर्स भी Pankaj भाई की 26 तारीख वाली पोस्ट से उद्धृत है- 'लव के गुनहगार इधर भी हैं उधर भी'। आधा घंटा कट जाता है। 10तक पूरा। अगर आपके पास कहने के लिए कुछ रह नहीं गया है तो कटिए। नागपुर से चुनाव लडि़ए भाजपा के टिकट पर? फिर करवाइए संविधान संशोधन। पत्रकार बनकर क्यों जनता को बरगला रहे हैं?
अब ये मत कह दीजिएगा कि पूरा प्रोग्राम व्यंजना में था जो मुझे समझ नहीं आया।
अभिषेक का यह पोस्ट तो और मजेदार हैः
दो दिन से जब-जब फेसबुक पर गणेश भक्तों की लगाई भक्तिमय तस्वीरें देख रहा था, मुझे कुछ याद आ रहा था। अभी मैंने अपने आर्काइव में से खोज ही निकाला। यह तस्वीर ठीक 11 माह पहले यानी 29 सितम्बर, 2013 को दिल्ली में हुई नरेंद्र मोदी की पहली रैली की है जिसमें भाजपा के स्थानीय नेता गणपति बप्पा से अगले बरस मोदी को लाने की डिमांड कर रहे हैं।
पता नहीं इस बार गणेश से क्या मांगा जाएगा। कौन जाने गणेश अगले बरस क्या डिमांड पूरी कर दें। ऐसे ही थोड़ी अकेले गणेश पूरे देश का दूध पी गए थे। अब भक्तों का कर्जा चुका रहे हैं...।
बहरहाल अभिषेक,गणपती बप्पा मोरया कहते हुए फेस्टिव सीजन की शुरुआत हो गइ है। और त्यौहारों के दौरान किसी भी मार्केटर का मीडिया और मार्केटिंग पर खर्च सबसे ज्यादा होता है। कई एक्सपर्ट्स का ये मानना है कि इस साल खर्चे में बढ़त होगी। अनुमान है कि फेस्टिवल सीजन के दौरान मीडिया और एडवर्टाइजिंग पर इंडिया इंक करीब 2000 करोड़ रुपये खर्च करेगी, जो पिछले 5 सालों मे सबसे ज्यादा है। परंपरागत रूप से ज्यादा खर्च करने वाले खिलाड़ी जैसे एफएमसीजी और ऑटो के अलावा ऐसा कहा जा रहा है की ई-कॉमर्स कंपनियां अपना खर्च बढ़ाएंगी।
देश का ऑनलाइन बाजार 15 फीसदी सालाना की दर से बढ़ रहा है और इस बाजार में लगातार कुछ नया हो रहा है। खास कर फैशन ई-कॉमर्स में। जहां मौजूदा फैशन ई-कॉमर्स प्लेयर्स जैसे मिंत्रा और जबॉन्ग खुद को मजबूत कर रहे हैं, नए कलेक्शन्स नए टाई-अप्स से। वहीं बड़े रिटेल ब्रांड भी इस बाजार की ओर रुख कर रहे हैं और मानते हैं आने वाले समय में ग्रोथ यहीं से आएगी।
अरविंद ब्रांड्स ने फैशन और ऑनलाइन स्पेस में काफी हलचल मचा दी है। अरविंद ने गैप को भारत में लाया है और जल्द ही मुबई, दिल्ली, बंगलुरु, कोलकाता जैसे सभी बड़े शहरों में गैप के स्टोर्स खुलेंगे। इसके अलावा ब्रांड जल्द ही अमेरिका के ब्रांड द चिल्ड्रेन प्लेस को भी भारत ला रहा है। 2015 तक द चिल्ड्रेन प्लेस के देश में 50 स्टोर होंगे। बड़ी बात ये है कि रिटेल स्टोर्स के अलावा ये सभी ब्रांड्स अर्विंद ब्रांड्स के ई-कॉमर्स पोर्टल पर भी मिलेंगे। अरविंद ब्रांड्स सालाना 1800 करोड़ रुपये का कारोबार करता है कुल 28 ब्रांड्स से जिसमें उनके खुद के ब्रांड्स और लाइसेंस्ड फैशन ब्रांड्स शामिल हैं। पिछले कुछ समय में इनके कई ब्रांड्स की 50 फीसदी बिक्री ई-कॉमर्स के जरिए आ रही है।
अरविंद ब्रांड्स ने अपना फैशन पोर्टल क्रिएट भी हाल ही में लॉन्च किया। हांलकि क्रिएट को जबॉन्ग और मिंत्रा जैसे ई-कॉमर्स दिग्गजों का सामना करना पड़ेगा। लेकिन ब्रांड का मनना है कि साईट के यूनीक फीचर्स और उनके ब्रांड्स उन्हें सफल बनाएंगे। क्रिएट पर आप 3डी इमेज के जरिए अपने कपड़ों का देख सकते हैं और कस्टमाईज कर सकते हैं। अरविंद ब्रांड्स का मानना है कि आने वाले दिनों में ऑनलाइन शॉपिंग अपनी पहचान के बल पर चलेगी ना कि डिस्काउंट्स के।
इस साल जुलाई के अंत तक देश ने 70 लाख ऑनलाइन शॉपर्स और जोड़ लिए हैं। और कुल ई-कॉमर्स कंज्यूमर्स लगभग 5.5 करोड़ हो गए हैं जिसमें से अधिकतर लोग कपड़े खरीदने ऑनलाइन जा रहे हैं। एप्पेरल कैटेगरी सबसे तेजी से ग्रो कर रहा है और पिछले एक दशक में इसने 66 फीसदी की ग्रोथ दर्ज की है। और शॉपिंग करने वाले में 15-24 साल के लोग सबसे आगे हैं। इसी सब को ध्यान में रखकर जबॉन्ग लैकमे फेशन वीक के साथ लगातार जुड़ा है और खुद को बतौर एक फैशन ब्रांड मजबूत कर रहा है।
जबॉन्ग ने नेक्स्ट डोर सर्विस लॉन्च करके एक और पहल की है, इसके जरिए जिन इलाकों में कुरियर सर्विस नहीं हैं वहां कंज्यूमर्स अपना ऑर्डर नजदीक की कॉफी शॉप, पेट्रोल पंप या फिर टूर ऑपरेटर के यहां से पिक कर सकते हैं। जबॉन्ग के रेवेन्यू का 50 फीसदी नॉन-मेट्रो शहरों से आता है और इसिलिए ब्रांड इंडियन डिजाइनर के लेबल्स हों या फिर प्रीमियम फैशन ब्रांड्स सभी को इन शहरों तक पहुंचाने की कोशिश में लगा है।
जहां जबॉन्ग फैशन डिजाइनर्स और ब्रांड्स से जुड़ रहा है वहीं मिंत्रा जो अब फिल्पकार्ट का हिस्सा है प्राइवेट लेबल्स पर जोर दे रहा है। रोडस्टर, एचआरएक्स बाय हृतिक रोशन, शेर सिंह, अनोक, कूक एन कीच, मस्त एंड हार्बर और ईटीसी जैसे लेबल्स से उन्हें अच्छा मार्जिन मिल रहा है और वो उनके रेवेन्यू का 20 फीसदी हिस्सा भी हैं। देश की ऑनलाइन रिटेल इंडस्ट्री 2016 तक 50000 करोड़ रुपये की होने का अनुमान है। और इसमें मिनाफा वहीं कमा पाएंगे जो ज्यादा से ज्यादा कंज्यूमर्स अपने साथ जोड़ेंगे और खुद को एक भरोसेमंद ब्रांड बना पाएंगे।
बहरहाल सेना, नौसेना और वायु सेना को हथियारों से लैस करने के लिए बड़ा कदम उठाते हुए सरकार ने शुक्रवार को 20 हजार करोड़ रूपये के रक्षा खरीद प्रस्तावों को मंजूरी दे दी
और विदेशों से 197 हेलीकाप्टर खरीदने के प्रस्ताव को रद्द करते हुए देश में ही 40 हजार करोड़ रूपये का कारोबार पैदा करने का मार्ग प्रशस्त कर दिया।
रक्षा मंत्री अरूण जेटली की अगुआई वाली शीर्ष रक्षा खरीदारी परिषद ने यहां करीब चार घंटे चली मैराथन बैठक में जिन रक्षा प्रस्तावों को मंजूरी दी उनमें 118 अर्जुन मार्क-2 टैंकों की खरीदारी, वायु सेना के लिए शिनूक और अपाचे हेलीकाप्टरों, नौसेना के लिए 16 मल्टीरोल हेलीकाप्टरों, पनडुब्बी मारक युद्ध प्रणालियों, पनडुब्बियों की आयु सीमा बढ़ाने के कार्यक्रम और सेना के लिए अत्याधुनिक संचार उपकरणों की खरीदारी शामिल है। देश के रक्षा उद्योग को मजबूती देने वाले एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में परिषद ने करीब 3000 करोड़ रूपये की लागत से खरीदे जाने वाले 197 हेलीकाप्टरों के सौदे का प्रस्ताव खारिज कर दिया और इन हेलीकाप्टरों को बाहरी टेक्रोलाजी की मदद से भारत में ही बनाने का निर्णय लिया। रक्षा सूत्रों ने बताया कि मोदी सरकार के इस निर्णय से देश के रक्षा उद्योग में 40 हजार करोड़ के नए अवसर पैदा होंगे। रक्षा सूत्रों ने बताया कि नौसेना के लिए 17 अरब 70 करोड़ रूपये की लागत से एंटी सबमरीन वारफेयर सिस्टम हासिल करने के प्रस्ताव को रक्षा खरीदारी परिषद् की हरी झंडी मिल गई जिसके तहत नौसेना एकीकृत पनडुब्बी रोधी युद्धक प्रणाली से लैस होगी। ये प्रणालियां नौसेना के 11 जंगी पोतों पर लगाई जाएंगी जिनमें प्रोजेक्ट 17 अल्फा के सात और प्रोजेक्ट 15 बी के चार पोत शामिल हैं। नौसेना के पनडुब्बी बेडे में नई जान फूंकने के लिए परिषद् ने 48अरब रूपये की लागत से छह पनडुब्बियों को उन्नत बनाने का प्रस्ताव मंंजूर कर दिया। (शेष पृष्ठ ८ पर)
इनमें चार किलो क्लास की सिंधु पनडुब्बियां और 2 शिशुमार श्रेणी की एचडीडब्ल्यू पनडुब्बियां शामिल हैं। किलो क्लास की दो पनडुब्बियां रूस भेजी जाएंगी जबकि शिशुमार श्रेणी की दो पनडुब्बियों का अपग्रेड भारत में ही मझगांव गोदी में होगा।
रक्षा सूत्रों ने बताया कि वायु सेना के लिए 15 हैवी लिफ्ट शिनूकहेलीकाप्टरों और 22 अपाचे अटैक हेलीकाप्टरों की खरीदारी की अंतिम बाधा भी दूर कर दी गई है और इन से जुड़े निवेश प्रस्तावों में फेरबदल को स्वीकार कर लिया। ये दोनों सौदे करीब ढाई अरब डालर के हैं। नौसेना के लिए 16 मल्टीरोल हेलीकाप्टरों का प्रस्ताव भी आज परिषद की हरी झंडी हासिल करने में कामयाब हो गया। ये हेलीकाप्टर 800 करोडरूपये की लागत से खरीदे जाएंगे। सेना के लिए 6600 करोड़ रूपये की लागत से अर्जुन मार्क-2 टैंकों की खरीदारी और 820 करोड़ रूपये की लागत से अर्जुन टैंकों पर लगाए जाने वाली 40 सेल्फ प्रोपेल्ड तोपों के विकास के प्रस्ताव को भी स्वीकार कर लिया गया। सेना की तीन, चार और 14 कोर के लिए 900 करोड़ रूपये की लागत से संचार उपकरणों की खरीदारी का प्रस्ताव भी परिषद ने मंजूर कर दिया।
बहरहाल ईपीएफओ द्वारा संचालित की जाने वाली सामाजिक सुरक्षा स्कीम्स के तहत 15000 रुपये तक की सैलरी पाने वाले लोगों को कम से कम एक हजार रुपये प्रति माह पेंशन दी जाएगी। यह योजना एक सितंबर से लागू हो जाएगी।
सरकार की इस पेंशन स्कीम से तत्काल 28 लाख लोग लाभान्वित होंगे। उम्मीद जताई जा रही है कि इसका लाभ लेने के लिए 50 लाख नए लोग जुड़ सकते हैं। इस स्कीम के साथ एंप्लाइज डिपाजिट लिंक्ड इंश्योरेंस (ईडीएलआइ) के तहत तीन लाख रुपये के बीमा लाभ को 20 फीसद बढ़ाकर 3.6 लाख रुपये किया गया है। इसका मतलब यह है कि अगर ईपीएफओ के किसी सब्सक्राइबर की मृत्यु हो जाती है तो उसके परिवार को कम से कम 3.6 लाख रुपये मिलेंगे।
यह योजना एक सितंबर से लागू हो जाएगी। अबतक एक हजार रुपये से कम पेंशन पाने वाले सभी लोगों को अक्टूबर माह से पूरे एक हजार रुपये मिलने लगेंगे। इस योजना से 28 लाख लोग लाभान्वित होंगे जिसमें 5 लाख विधवाएं भी शामिल हैं।
बहरहाल महंगाई के मद्देनजर कर्मचारी भविष्य निधि [ईपीएफ] की ब्याज दर में बढ़ोतरी की उम्मीदें ध्वस्त हो गई हैं। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन [ईपीएफओ] बीते साल की तरह चालू वित्ता वर्ष 2014-15 के लिए भी ईपीएफ पर 8.75 फीसद का सालाना ब्याज देगा। ईपीएफओ के केंद्रीय ट्रस्टी बोर्ड [सीबीटी] की मंगलवार को हुई बैठक में यह फैसला लिया गया। जल्द ही वित्ता मंत्रालय इस संबंध में अधिसूचना जारी करेगा।
केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त के जालान ने सीबीटी की बैठक के बाद बताया कि विचार-विमर्श के बाद बोर्ड ने मौजूदा ब्याज दर को बनाए रखने का फैसला लिया है। बीते वित्ता वर्ष 2013-14 के लिए ईपीएफ की ब्याज दर 8.75 फीसद थी। चालू वित्ता वर्ष 2014-15 के लिए भी यही दर रहेगी।
वैसे उम्मीद की जा रही थी कि महंगाई को देखते हुए ट्रस्टी बोर्ड ईपीएफ पर ब्याज दर बढ़ाने का फैसला करेगा। इसकी वजह यह है कि मौजूदा ब्याज दर से ईपीएफ में जमा राशि उतनी भी नहीं बढ़ती, जितने चीजों के दाम बढ़ जाते हैं। वर्ष 2005 में ईपीएफ में जमा किए गए 100 रुपये आज भले ही 193 रुपये हो गए हों, मगर महंगाई को घटा दें तो यह रकम केवल 97 रुपये रह जाती है।
ईपीएफ के बजाय शेयरों अथवा म्यूचुअल फंडों में निवेश अपेक्षाकृत फायदेमंद साबित हुआ है। मगर यूनियनों के विरोध के कारण ईपीएफओ अपना फंड शेयर बाजार में निवेश नहीं करता। यूनियनों के अनुसार शेयर बाजार में जोखिम है। इसमें निवेश से ग्राहकों की रही-सही सुरक्षा भी खत्म हो सकती है। इसलिए ईपीएफओ केवल सरकारी प्रतिभूतियों व सरकारी और निजी क्षेत्र के बांडों में निवेश करता है।
ईपीएफ के पीछे सरकार का मकसद कर्मचारियों को सेवानिवृत्तिके बाद आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना था, लेकिन मौजूदा ब्याज दर से इसकी गारंटी नहीं मिलती। यही वजह है कि कर्मचारी संगठन ब्याज दर बढ़ाने की मांग कर रहे थे। सूत्रों के मुताबिक सीबीटी की बैठक में उनके प्रतिनिधियों ने दरें बढ़ाने की जोरदार पैरवी भी की, मगर उनकी एक न चली।
बढ़ेगी अंशदान करने वालों की संख्या
इस समय ईपीएफओ के देश भर में लगभग पांच करोड़ ग्राहक हैं। कर्मचारी भविष्य निधि के लिए वेतन की सीमा 6,500 रुपये से बढ़ाकर 15,000 रुपये करने के सरकारी निर्णय से आने वाले सालों में ईपीएफओ में अंशदान करने वालों की यह संख्या 50 लाख और बढ़ जाएगी।
इससे कार्पस में बढ़ोतरी होगी, वहीं ब्याज की मद में देनदारी भी बढ़ जाएगी। अभी ईपीएफ फंड के निवेश से होने वाली कमाई 29,000 करोड़ रुपये है। 8.75 फीसद ब्याज देने पर केवल कुछ सौ करोड़ का सरप्लस बचेगा।
बहरहाल जनता से सुझाव मांगने के साथ ही सरकार ने नए योजना आयोग के स्थान पर नई संस्था के ढांचे पर औपचारिक विचार- विमर्श शुरू कर दिया है। मंगलवार को पूर्व वित्त मंत्री व भाजपा के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा समेत करीब डेढ़ दर्जन विशेषज्ञों ने नई संस्था के स्वरूप को लेकर बैठक की। बैठक में एक राय से सभी ने स्वीकार किया कि बदले परिदृश्य में आयोग के स्थान पर अब नई संस्था की जरूरत है।
योजना आयोग में हुई इस बैठक में सभी विशेषज्ञों ने विचार रखे। राज्यों के लिए तय होने वाले योजना खर्च से लेकर मंत्रालयों और केंद्र सरकार की फ्लैगशिप स्कीमों को मिलने वाली वित्तीय मदद के मौजूदा व संभावित तौर-तरीकों पर भी चर्चा हुई। कई विशेषज्ञों ने राज्यों के योजना खर्च का काम वित्त आयोग के जिम्मे करने का सुझाव दिया तो कुछ ने इसे वित्त मंत्रालय और वित्त आयोग के बीच बांटने की सलाह दी।
बैठक के बाद सिन्हा ने केवल इतना ही कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वतंत्रता दिवस को योजना आयोग के संबंध में दिए गए वक्तव्य के संदर्भ में इस बैठक का आयोजन किया गया था। बैठक में योजना आयोग के नए संभावित अवतार पर चर्चा हुई। यह पूछे जाने पर कि राज्यों को धन के बंटवारे के मौजूदा सिस्टम के स्थान पर क्या प्रक्रिया अपनाई जाएगी?
सिन्हा ने कहा, 'यह बात आई कि जो धन का बंटवारा प्लानिंग कमीशन करता है, क्या उसकी कोई वैकल्पिक व्यवस्था हो सकती है। कौन सी वैकल्पिक व्यवस्था होगी, कैसी होगी, उस पर विस्तार से चर्चा हुई है। इस पर अंतिम फैसला प्रधानमंत्री को लेना है।'
बैठक में दो समूहों में चर्चा हुई। एक समूह में योजना आयोग में सदस्य रह चुके अर्थशास्त्री और विशेषज्ञ शामिल थे। इस समूह की बैठक की अध्यक्षता सिन्हा ने की। इस समूह में पूर्व आरबीआइ गवर्नर बिमल जालान, पूर्व वित्त सचिव विजय केलकर, पूर्व योजना आयोग सदस्य सौमित्र चौधरी और वाइके अलघ शामिल थे। दूसरे समूह में राजीव कुमार, प्रणब सेन जैसे अर्थशास्त्री शरीक थे।
प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस पर लालकिले से भाषण देते हुए योजना आयोग को खत्म करने की बात कही थी। मोदी के मुताबिक देश को अब एक नई संस्था की आवश्यकता है। सरकार ने इसके लिए लोगों से सुझाव भी मांगे हैं। सरकार की वेबसाइट पर अब तक करीब दो हजार सुझाव इस संबंध में आ चुके हैं।
बहरहाल देश के शेयर बाजारों में पिछले सप्ताह प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स और निफ्टी में आधा फीसदी से अधिक तेजी दर्ज की गई। इस दौरान दोनों सूचकांकों ने अपने जीवन काल का ऐतिहासिक उच्च स्तर छुआ और ऐतिहासिक उच्च स्तर पर बंद हुए। शेयर बाजार गत सप्ताह शुक्रवार 29 अगस्त को गणेश चतुर्थी पर्व के अवसर पर बंद रहे।
बहरहाल अमेरिकी फेड द्वारा अगले वर्ष ब्याज दरें बढ़ाए जाने पर भी भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) 2015 की शुरुआत से ब्याज दरों में कटौती कर सकता है। ब्याज दरों में 0.75 से 1.00 फीसदी की कटौती की जा सकती है। बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच की रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है। वैश्विक वित्तीय सेवा प्रदाता का कहना है कि हाल के वर्षों में विकसित और इमर्जिंग देशों खासकर भारत की मौद्रिक नीतियों में परस्पर विपरीत स्थितियां देखने में आई हैं।
बहरहाल श्रम कानूनों में व्यावहारिक सुधार का आह्वान करते हुए मारुति सुजुकी इंडिया के अध्यक्ष आरसी भार्गव ने कहा कि नीति में अस्थायी कामगारों को इस तरह भरती की छूट हो कि सबसे आखिर में नियुक्त कर्मचारियों को मंदी के दौर में सबसे पहले हटाया जा सके, लेकिन उनके जीवन निर्वाह के लिए मजदूरी की पर्याप्त व्यवस्था हो. कंपनी अपने कर्मचारियों में 25-30 प्रतिशत को अस्थायी तौर पर रखने के पक्ष में है, ताकि मंदी में श्रम बल कम करने में आसानी हो. भार्गव ने कहा कि जब मांग बढ़ेगी, उस कर्मचारी को वापस ले लेंगे, जिसे हटाया जायेगा. आखिरी व्यक्ति को सबसे पहले वापस लिया जायेगा.
'मैं आपके देश कभी नहीं गई लेकिन मुझे भारतीय चीज़ें पसंद हैं, खासकर भारत का खाना। इसमें दिलचस्पी के चलते ही मैंने कुछ सूचनाएं जुटाई हैं और भारत के बारे में मेरी एक धारणा विकसित हुई है। मुझे लगता है कि भारत एक बेहद संस्कृति-संपन्न देश रहा है। नाभिकीय ऊर्जा इस संस्कृति को तबाह कर देगी। क्यों? क्योंकि यह लोगों की जिंदगियों को बरबाद कर देती है, जिसका संस्कृति के साथ चोली-दामन का साथ होता है।" (युकिको ताकाहाशी)
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आरएसएस के सहयोगी संगठन केंद्र सरकार को झकझोरने की पूरी तैयारी में
जब जून के अंतिम दिनों में दिल्ली विश्वविद्यालय विवादास्पद चार वर्षीय स्नातक कोर्स पर छात्रों के विरोध से जूझ रहा था तभी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के बड़े नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले. मीडिया के कैमरों की चकाचौंध से दूर इस मुलाकात में इन नेताओं ने चार वर्षीय पाठ्यक्रम की खूब बखिया उधेड़ी जबकि इसे लंबे समय बाद देश के शिक्षा जगत में नई सोच माना जा रहा था. यह दबाव काम कर गया. दो दिन बाद दिल्ली विश्वविद्यालय ने चार वर्षीय पाठ्यक्रम वापस लेने की घोषणा कर दी. इस कामयाबी से उत्साहित छात्र संघ के कार्यकर्ताओं ने अगला विवादित मुद्दा उठा लियाः संघ लोक सेवा आयोग की प्रशासनिक सेवा परीक्षा में अंग्रेजी को मिली प्रधानता.
कुछ सप्ताह पहले ही शिक्षा बचाओ आंदोलन समिति के संस्थापक अध्यक्ष दीनानाथ बत्रा ने मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी के साथ उनके कार्यालय में एक घंटे तक बात की. इस वर्ष के शुरू में बत्रा अपने दीवानी मुकदमे के जरिए वेंडी डोनिगर की पुस्तक द हिंदूजः एन ऑल्टरनेटिव हिस्ट्री पर रोक लगवाकर सुर्खियों में छा गए थे. 3 जून को हुई इस मुलाकात में स्मृति ईरानी और बत्रा ने शिक्षा संबंधी कई मुद्दों पर बात की और अंत में ईरानी ने उनसे वादा किया कि सरकार उनकी मांग पर जल्दी ही राष्ट्रीय शिक्षा आयोग का गठन करेगी. संघ परिवार के अन्य आनुषंगिक संगठनों के नेता भी नई सरकार को आंख दिखाने और जीएम फसलों के परीक्षण, श्रम कानून सुधार तथा विश्व व्यापार संगठन वार्ताओं जैसे अहम क्षेत्रों में अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने में जुटे हैं.
ऐसा लगता है कि मोदी का विरोध लोकसभा में विपक्ष या उनकी अपनी सरकार के भीतर नहीं बल्कि उनके संघ परिवार के भीतर होता है. संघ के प्रचारक और उसके आनुषंगिक संगठनों या अन्य सहयोगी संगठनों के नेता अचानक अंधेरों से निकल आए हैं और शिक्षा, खेती, उद्योग और व्यापार जैसे क्षेत्रों में अपनी पसंद के नियम तय कराना चाहते हैं. इस बात की दाद देनी पड़ेगी कि इन भगवा योद्धाओं की चीख-पुकार को सफलता मिलने लगी है.
(दिल्ली में यूपीएसएसी परीक्षा के फॉर्मेट में बदलाव को लेकर प्रदर्शन कर रहे छात्रों की पुलिस से झड़प)
नए सबक सिखाना
आरएसएस के प्रचारक तथा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय संगठन सचिव सुनील आंबेकर का कहना है, ‘‘हमने अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी में पारित 11 प्रस्तावों की प्रति प्रधानमंत्री को दी. इस बैठक में चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम के विरोध में पारित हमारे प्रस्ताव पर भी चर्चा हुई जो इन 11 प्रस्तावों में शामिल था.’’ मोदी से मिलने वाले अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रतिनिधिमंडल में आंबेकर शामिल थे और ज्यादातर दलीलें उन्होंने ही रखी थीं.
आरएसएस प्रचारकों की आम पोशाक कुर्त्ता-पाजामा में आंबेकर संसद से कुछ सौ मीटर दूर वि-लभाई पटेल हाउस में विद्यार्थी परिषद के कार्यालय में बैठते हैं. वे वहां परिषद के पदाधिकारियों उमेश दत्त शर्मा और रोहित चहल के साथ बैठे अपने संगठन की भूमिका पर खुलकर बात करने को तैयार दिखते हैं, लेकिन इस बारे में भनक नहीं लगने देते कि मोदी से क्या बात हुई या सीसैट विवाद पर परिषद की रणनीति क्या है.
लेकिन हुआ यह कि आंबेकर जब संगठन के काम से दिल्ली से बाहर थे, तभी शर्मा के नेतृत्व में विद्यार्थी परिषद के प्रतिनिधिमंडल ने सीसैट के मुद्दे पर गृह मंत्री राजनाथ सिंह और प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह पर दबाव बनाया. ये लोग अलग से बीजेपी के महासचिव जे.पी. नड्डा और हाल ही में संघ से आए पार्टी नेता राम माधव से भी मिले और उनसे अपनी मांगों के बारे में सरकार पर दबाव डालने को कहा. दबाव फिर रंग लाया. एक बड़े मंत्री ने माना कि सीसैट में कुछ गलत नहीं था, लेकिन मोदी सरकार को ‘काडर के दबाव’ के आगे झुकना पड़ा.
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के एजेंडे का अगला मुद्दा निजी शिक्षा के लिए एक केंद्रीय नियामक संस्था के गठन पर जोर देना है. 46 वर्षीय आंबेकर नागपुर से जीव विज्ञान में एमए हैं और आजकल उस पद पर विराजमान हैं जिस पर आचार्य गिरिराज किशोर, मदनदास देवी और दत्तात्रेय होसबले जैसे संघ के दिग्गज रह चुके हैं. आंबेकर को लगता है कि यह लक्ष्य हासिल करना आसान है.
बत्रा चाहते हैं कि अगले वर्ष राष्ट्रीय पाठ्यक्रम फ्रेमवर्क (एनसीएफ) में बदलाव के समय स्मृति ईरानी हस्ताक्षेप करें.
सीसैट विवाद से भी जुड़े बत्रा का कहना है, ‘‘2015 के लिए एनसीएफ तैयार करने की जिम्मेदारी विद्वानों और विशेषज्ञों की समिति को सौंपी जानी चाहिए और फिर उसका प्रारूप केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड के सामने रखना चाहिए. अगर सरकार ने हस्तक्षेप नहीं किया तो एनसीईआरटी खामियों से भरा पाठ्यक्रम चलाती रहेगी.’’ बत्रा और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पूर्व महासचिव अतुल कोठारी ने संघ लोकसेवा आयोग परीक्षा में सीसैट के विरोध में 2011 में दिल्ली हाइकोर्ट में दायर जनहित याचिका में कहा था कि इसकी वजह से हिंदी और देश की दूसरी क्षेत्रीय भाषाओं के उम्मीदवारों के साथ भेदभाव होता है.
स्मृति ईरानी को संघ के एक और पुराने स्वयंसेवक इंदर मोहन कपाही के दबाव का सामना भी करना पड़ा, जो राष्ट्रीय लोकतांत्रिक शिक्षक मोर्चा के संस्थापक सदस्य के नाते चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम पर चर्चा के सिलसिले में पिछले दो महीने में उनसे कई बार मिल चुके हैं.
(अहमदाबाद में बीटी बैंगन पर परिचर्चा के दौरान किसानों का प्रदर्शन)
संशोधन वापस लो
मोदी सरकार आनुवंशिक रूप से संशोधित (जीएम) फसलों के खेतों में परीक्षण संबंधी विवाद पर फूंक-फूंककर कदम रखना चाह रही है. लेकिन संघ परिवार के स्वदेशी योद्धा इस बारे में अपने विरोध के सामने सरकार को झुकाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रहे. जुलाई के अंत में स्वदेशी जागरण मंच और भारतीय किसान संघ के प्रतिनिधियों ने पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर से मिलकर परीक्षण रोकने को कहा. प्रतिनिधिमंडल में स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह-संयोजक अश्विनी महाजन और भारतीय किसान संघ के नेता तथा आरएसएस प्रचारक मोहिनी मोहन मिश्र भी थे.
मोदी ने जीएम फसलों के खेतों में परीक्षण पर अभी तक अपनी राय स्पष्ट नहीं की है. इसलिए जावडेकर इन कार्यकर्ताओं को इनकार नहीं कर पाए. फिर भी स्वदेशी जागरण मंच ने प्रेस वक्तव्य में एक तरह से ऐलान कर दिया कि जावडेकर ने उन्हें भरोसा दिलाया है कि ‘‘जीएम फसलों पर फैसला अभी रोक दिया गया है.’’
इससे वैज्ञानिक बिरादरी के कान खड़े हो गए. उन्हें उम्मीद थी कि 2010 में यूपीए के मंत्री जयराम रमेश ने जिस तरह जीएम अनुसंधान के लिए दरवाजा बंद कर दिया था, उसके बाद मोदी सरकार खेतों में परीक्षण की अनुमति दे देगी. जावडेकर ने अपने हवाले से किए गए स्वदेशी जागरण मंच के दावों के खंडन की फुर्ती तो दिखाई लेकिन स्पष्ट नहीं कह सके कि जीएम फसलों का खेतों में परीक्षण जारी रहेगा.
महाजन का कहना है, ‘‘जीएम फसलें अप्राकृतिक हैं. हमारा रुख एकदम स्पष्ट है. जीएम फसलों का खेतों में परीक्षण उन्हें वाणिज्यिक स्तर पर अपनाने की कोशिश है. जीएम फसलों के साथ अवांछित खरपतवार होती है. उन्हें रोकने के लिए खरपतवार नाशक की जरूरत पड़ेगी. इनका इस्तेमाल अमेरिकी सेना ने वियतनाम युद्ध में वियतनामी लड़ाकों को छिपने के ठिकानों से बाहर निकालने के लिए किया था.’’ उनका मानना है कि ये खरपतवार नाशक भारत में कृषि की जैव-विविधता का नामोनिशान मिटा देंगे.
खेती के विशेषज्ञ इन दावों को सरासर गलत बताते हैं. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद में फसल विज्ञान के उप-महानिदेशक स्वप्न कुमार दत्ता का कहना है, ‘‘भारत में वैसे भी किसान खेतों में अवांछित खरपतवार से छुटकारा पाने के लिए खरपतवार नाशक का प्रयोग करते हैं. इनका उपयोग गैर-जीएम फसलों में भी होता है.’’ दत्ता का यह भी कहना था कि खरपतवार नाशकों का इस्तेमाल नहीं होगा तो फसल की पैदावार पर भारी असर पड़ेगा.
(दिल्ली में कीमतों में बढ़ोतरी और केंद्र सरकार की श्रमिक विरोधी नीतियों के खिलाफ ट्रेड यूनियनों का प्रदर्शन)
वैसे, महाजन कृषि वैज्ञानिक नहीं हैं. वे दिल्ली विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के एसोसिएट प्रोफेसर हैं और 1994 से स्वदेशी जागरण मंच से जुड़े हैं. उनका तथा आरएसएस के एक और पूर्णकालिक प्रचारक कश्मीरी लाल का कार्यालय राजधानी की आर.के. पुरम की सरकारी कॉलोनी में शिव शक्ति मंदिर से जुड़े भवन धर्मक्षेत्र में है. कश्मीरी लाल भी पुराने प्रचारक हैं और मोदी जब बीजेपी के हिमाचल प्रदेश प्रभारी महासचिव हुआ करते थे, तब वे सह-प्रांत प्रचारक थे.
महाजन असल में कश्मीरी लाल से कुछ भिन्न हैं. वे टेलीविजन पर स्वदेशी जागरण मंच का परिचित चेहरा हैं, संघ के अखबार ऑर्गेनाइजर और पांचजन्य में उनके लेख नियमित छपते हैं. वे ट्विटर और फेसबुक पर भी पूरी तरह सक्रिय हैं. फिर भी महाजन और कश्मीरी लाल की बुनियादी आस्थाएं समान हैं. कश्मीरी लाल का भी तर्क है कि बीजेपी सरकार जीएम फसलों के खेतों में परीक्षण की अनुमति नहीं दे सकती क्योंकि पार्टी घोषणा पत्र में साफ लिखा है कि वैज्ञानिक आकलन के बाद ही जीएम फसलों के बारे में सोचा जा सकता है.
महाजन और लाल को मोहिनी मिश्र के साथ-साथ संघ के एक और प्रचारक प्रभाकर केलकर का समर्थन भी हासिल है. मिश्र और केलकर भारतीय किसान संघ चलाते हैं और उनका कहना है कि उन्होंने जीएम फसलों के विरोध में प्रदर्शन किया था और पिछले वर्ष सभी दलों के सांसदों से भी मिले थे. जीएम फसलों के परीक्षण का विरोध करने के साथ-साथ वे रक्षा और बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बढ़ाने के बीजेपी सरकार के फैसले से भी खुश नहीं हैं.
उनका यह भी कहना है कि यूपीए सरकार ने जो भूमि अधिग्रहण कानून पास किया था उससे छेड़छाड़ की सरकार की किसी भी कोशिश पर उनकी पैनी नजर है. इस कानून के बाद उद्योगों के लिए जमीन पाना कठिन हो गया है. केलकर ने उद्योग लगाने में मदद दिलाने के लिए कानून में ढील के बारे में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के कथित सुझाव की तरफ इशारा करते हुए कहा, ‘‘हम भूमि अधिग्रहण कानून में 80 प्रतिशत किसानों/जमीन मालिकों की सहमति की शर्त में ढील के विरुद्ध हैं.’’
केलकर दो दशक से भारतीय किसान संघ से जुड़े हैं और राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त होने से पहले अपने गृह राज्य मध्य प्रदेश में काम कर चुके हैं. सर संघचालक मोहन भागवत की अध्यक्षता में भोपाल में संघ के नेताओं की बैठक से लौटने के बाद केलकर ने यह भी संकेत दिया कि उद्योग लगाने के लिए खेतिहर जमीन के अधिग्रहण पर रोक लगाई जाएगी. दिल्ली में दीनदयाल उपाध्याय मार्ग पर उनके कार्यालय की दीवारों पर संघ परिवार में आर्थिक मामलों में स्वदेशी के मूल योद्धा दिवंगत दत्तोपंत ठेंगड़ी के चित्र लगे हैं.
(अहमदाबाद में भारतीय किसान संघ के प्रदर्शन में किसानों का बड़ा मजमा जुटा)
श्रमिकों का दर्द
सरकार के लिए सिरदर्द तीन-चार मुद्दों तक ही सीमित नहीं है. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को चुनौती देने वाले ठेंगड़ी द्वारा स्थापित भारतीय मजदूर संघ श्रम कानूनों में ढील देने के मोदी मंत्रिमंडल से स्वीकृत अनेक संशोधनों से खफा है. वह, मोदी सरकार को अप्रैंटिस कानून 1961, फैक्ट्री कानून 1948 और श्रम कानून (कुछ प्रतिष्ठानों को रिटर्न और मेंटेनेंस रजिस्टर जमा कराने से छूट) अधिनियम 1988 में संशोधन करने से रोकने के लिए अन्य मजदूर संघों से हाथ मिलाने की सोच रहा है.
दिल्ली में दत्तोपंत ठेंगड़ी भवन में अपने कार्यालय में बैठे भारतीय मजदूर संघ के महासचिव विरजेश उपाध्याय कहते हैं, ‘‘भारतीय मजदूर संघ प्रस्तावित संशोधनों के 101 प्रतिशत खिलाफ है. हम पूरी ताकत से इन्हें रोकने की कोशश करेंगे.’’ इस भवन के लिए जमीन वाजपेयी सरकार ने दी थी.
उपाध्याय ने बताया कि भारतीय मजदूर संघ ने उद्योगों को लुभाने के लिए श्रम कानूनों में इसी तरह के संशोधनों के प्रस्ताव पर 25 जुलाई को राजस्थान में वसुधंरा राजे की बीजेपी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया था. भारतीय मजदूर संघ के नेताओं ने राजस्थान सरकार के प्रस्ताव की केंद्रीय श्रम मंत्री नरेंद्र तोमर से शिकायत करने के लिए अन्य मजदूर संघों के नेताओं की मदद ली. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता रहे और मजदूर संघों से उभरकर आए उपाध्याय ने कहा, ‘‘श्रम मंत्री ने हमें भरोसा दिया था कि किसी बदलाव के लिए श्रमिक संगठनों को विश्वास में लिया जाएगा. उन्होंने वादा तोड़ा है और हमें धोखा दिया है.’’
भारतीय मजदूर संघ ने 30-31 जुलाई को राजस्थान राज्य सड़क परिवहन निगम के श्रमिकों की दो दिन की हड़ताल का भी खुलकर समर्थन किया था. ये कर्मचारी सार्वजनिक परिवहन, बिजली और पानी वितरण व्यवस्था के निजीकरण की राज्य सरकार की कथित कोशिश का विरोध कर रहे थे. मजदूर संघ श्रमिकों का लगातार समर्थन और उत्साहवर्धन कर रहा है.
(दिल्ली विश्वविद्यालय के चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम के खिलाफ एबीवीपी का प्रदर्शन)
व्यापार पर एका
संघ के योद्धाओं के अनेक मुद्दों पर भले ही केंद्र सरकार से मतभेद हों, लेकिन भारत में खाद्य सब्सिडी को बचाते हुए व्यापार सुविधा समझौते में रुकावट डालने के उसके फैसले का वे खुले दिल से समर्थन करते हैं. स्वदेशी जागरण मंच के महाजन ने जिनेवा में विश्व व्यापार वार्ता में रोड़े अटकाने के भारत के फैसले की सराहना ही नहीं की है बल्कि उनके नेतृत्व में मंच का एक प्रतिनिधिमंडल पिछले साल दिसंबर में बाली गया था. वहां उन्होंने विश्व व्यापार संगठन वार्ता में बाली पैकेज पर सहमत होने के वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा के फैसले का विरोध भी किया था. उन्होंने बीजेपी नेताओं सुषमा स्वराज, अरुण जेटली और मुरली मनोहर जोशी को उस समझौते की जानकारी भी दी थी जिसे वे भारतीय हितों के विरुद्ध मानते हैं. उस समय जेटली ने खुलेआम बाली पैकेज की आलोचना की थी.
महाजन खुशी-खुशी बताते हैं, ‘‘मैंने अपने लेखों में लिखा था-बाली में जीत नहीं हार. अरुण जेटली ने भी बाली पैकेज के विरुद्ध राय दी थी. वही राय अब अपनाई गई है.’’
बाली पैकेज में व्यापार सुविधा समझौते के अलावा अन्य देशों के साथ-साथ भारत के लिए एक शांति अनुच्छेद जोड़ा गया था जिससे सरकार अगले चार वर्ष तक व्यापार विवादों में घिरे बिना अनाज खरीद कर रियायती दर पर बांट सकती थी. यूपीए ने सहमति दे दी थी कि विश्व व्यापार संगठन 31 जुलाई, 2014 तक व्यापार सुविधा समझौते का अनुमोदन कर सकता है. उसे यह भरोसा दिया गया था कि खाद्य सब्सिडी तंत्र पर फैसला 2017 तक कर लिया जाएगा. इसे मोदी सरकार के लिए भारत के बढ़ते कृषि और खाद्य सब्सिडी कार्यक्रमों में सुधार करने का ऐसा अवसर माना गया था जो विश्व व्यापार संगठन के तहत देश का दायित्व है. लेकिन बीजेपी सरकार इस वादे से पीछे हट गई. उसने जिद की कि व्यापार सुविधा समझौते पर हस्ताक्षर तभी होंगे जब उसे हमेशा अपने हिसाब से कृषि सब्सिडी जारी रखने की अनुमति मिलेगी.
मोदी के एजेंडे पर फूटते विरोध के अंकुर सत्ता प्रतिष्ठान को फूंक-फूंकर कदम रखने पर मजबूर कर रहे हैं. इसने सुधारों के भविष्य और अधिकतम प्रशासन के वादे पर भी सवालिया निशान लगा दिए हैं. आइआइएम-बंगलुरू में लोकनीति के शिक्षक, कांग्रेस के राज्यसभा सांसद राजीव गौड़ा को आशंका है कि संघ के ये योद्धा मोदी की योजनाओं पर पानी फेर सकते हैं.
गौड़ा का कहना था, ‘‘आरएसएस की यही कमजोरी है. एक तरफ वह अपने को आधुनिक दिखाता है लेकिन दूसरी तरफ विरोधाभासों में उलझा है. असल में कट्टरपंथी तत्व देश को आगे ले जाने की कोशिश में रुकावट बन सकते हैं. उनका असली चेहरा आने वाले दिनों में उजागर होगा. मोदी बुलेट ट्रेन जैसी योजनाओं से खुद को आधुनिकता का चेहरा बताने की कोशिश कर रहे हैं पर वे भी संघ की इसी परंपरा में पले-बढ़े हैं. दबाव डालने वाले ये गुट उनकी परीक्षा लेंगे और उनकी असलियत भी उजागर करेंगे.’’
1998 से 2004 तक एनडीए के पहले राज में प्रधानमंत्री वाजपेयी अपने सुधारवादी एजेंडे और पार्टी के भीतर, खासकर आरएसएस से विरोध के बीच तलवार की धार पर चलते रहे. पोकरण परमाणु विस्फोट और करगिल विजय ने उन्हें लंबे समय तक संघ का प्रिय पात्र बनाए रखा और अकसर आरएसएस के हमलों से बचने के लिए वे गठबंधन की मजबूरी को ढाल बना लेते थे. प्रशासन पर पकड़ मजबूत करने के बाद उन्होंने उदारवादी आर्थिक एजेंडे को आगे बढ़ाया जिससे संघ के नेताओं में अकसर कसमसाहट होती थी. इस तरह वाजपेयी का कार्यकाल पूरा हो गया.
इस बार संघ इन संकेतों को टालने की कोशिश कर रहा है कि संघ परिवार के सदस्य मोदी के प्रशासनिक एजेंडे को प्रभावित कर रहे हैं. और बीजेपी भी बहुत अधिक बेचैन नहीं दिख रही है.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य ने बताया, ‘‘ये संगठन विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रहे हैं. उन्हें इन क्षेत्रों की व्यापक समझ और अनुभव है. अपने क्षेत्र के मसलों पर सरकार के सामने अपनी राय रखना इनका लोकतांत्रिक अधिकार है. सरकार को सबके विचार सुनने चाहिए.’’
बीजेपी का मानना है कि वह एक राजनैतिक दल है और देश को चलाने के लिए उसका एक राजनैतिक एजेंडा है जबकि आरएसएस का वृहत सांस्कृतिक और सभ्यतागत एजेंडा है और कभी-कभी दोनों में टकराव हो सकता है.
बीजेपी के प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी का कहना है, ‘‘आरएसएस विश्व का सबसे बड़ा सांस्कृतिक संगठन है जिसका भारतीय समाज के विभिन्न हिस्सों पर गहरा प्रभाव है. बीजेपी के अधिकतर नेताओं की जड़ें संघ में हैं. भारत का स्वरूप बदलने की इच्छुक किसी भी सरकार को ऐसे महत्वपूर्ण संगठनों पर उचित ध्यान देना चाहिए. लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सरकार के कामकाज में किसी भी स्तर पर दखल देने की कोशिश कभी नहीं करता.’’
बहरहाल, मोदी के समर्थक फिलहाल तो यही उम्मीद कर सकते हैं कि प्रधानमंत्री ने संघ परिवार के स्वदेशी योद्धाओं के बाहुबल और लोकप्रियता की नाप-तौल कर ली है और वे उनसे टक्कर लेने के लिए राजनैतिक संकल्प जुटा सकते हैं.
শ্র ১০ সেপ্টেম্বর পর্যম্ত নীতু জেল হেপাজতে
· সন্ধিরের ল্যাপটপ উদ্ধার, সেবি, রিজার্ভ ব্যাঙ্কের কর্তাদের নাম
· মুম্বই, গুয়াহাটিতে কলকাতার সি বি আই কর্তারা
· বাধ্য হয়ে তোমার নাম বলেছি, সুদীপ্ত বলেছেন নীতুকে
সব্যসাচী সরকার, অগ্নি পান্ডে
সুদীপ্ত সেনের বিশ্বস্ত সুদীপার সন্ধানে নামল সি বি আই৷ সুদীপ্ত সেন জেরায় বলেছেন, কোম্পানির মূল্যবান কাগজপত্র ওর কাছে দিয়ে এসেছিলাম৷ তবে, সুদীপ্তবাবু সুদীপার পদবি মনে করতে পারছেন না৷ একই নামে কয়েকজন কর্মী সারদার মিডল্যান্ড পার্কের অফিসে কাজ করতেন৷ সি বি আই কর্তাদের সারদা-কর্তা বলেছিলেন, আরমিন আরা আর সুদীপার কাছেই কাগজপত্র আছে৷ আরমিন তার কাছে থাকা কাগজপত্র রাজ্যের তৈরি স্পেশাল ইনভেস্টিগেশন টিমের হাতে দিয়েছেন, এমনই দাবি তাঁর আইনজীবীর৷ কিন্তু কোম্পানির মূল্যবান ‘ডকুমেন্টের’ দ্বিতীয় ভাগ রয়েছে সুদীপার হাতে৷ শুক্রবার ইস্টবেঙ্গল কর্তা দেবব্রত সরকার (নীতু)-কে আলিপুর আদালতে তোলা হলে বিচারক হারাধন মুখোপাধ্যায় ১০ সেপ্টেম্বর পর্যম্ত জেল হেপাজতে রাখার নির্দেশ দেন৷ তবে ১ সেপ্টেম্বর ৩ ঘণ্টার জন্য প্যারোলে মুক্ত হবেন৷ নীতু বাড়িতে যাবেন মা-কে দেখতে৷ আদালতে সি বি আইয়ের আইনজীবী এ কে ভগৎ জানান, সারদা তদম্তে নীতু অত্যম্ত গুরুত্বপূর্ণ৷ তাঁকে জেরা করে বহু প্রভাবশালীর নাম পাওয়া গেছে৷ তার থেকেই পাওয়া গেছে সন্ধির আগরওয়ালের নাম৷ সন্ধির আগরওয়ালের থেকে একটি ল্যাপটপ পাওয়া গেছে বলে সি বি আই আদালতে জানায়৷ এই ল্যাপটপে সেবি ও রিজার্ভ ব্যাঙ্কের গুরুত্বপূর্ণ কয়েকজন কর্তার নাম পাওয়া গেছে৷ নীতু আদালতে এদিন বলেন, আমি সি বি আই-কে বলেছি, সন্ধিরের সঙ্গে আমাকে মুখোমুখি বসাতে৷ নীতু জানিয়েছেন, সুদীপ্ত সেনের সঙ্গে তাঁর যেদিন আদালতে দেখা হয়, সেদিন সুদীপ্তবাবুই বলেছিলেন, আমি বাধ্য হয়ে তোমার নাম বলেছি৷ কিন্তু সুদীপ্ত সেন কখনই বলেননি, আমি কোনও টাকা নিয়েছি৷ সি বি আই সূত্রের খবর, নীতু এ যাবৎকাল জেরায় বেশ কয়েকজন গুরুত্বপূর্ণ ব্যক্তির নাম বলেছেন৷ যাঁরা সারদা তদম্তে অত্যম্ত প্রাসঙ্গিক৷ সন্ধির ও নীতুকে জেরা করে প্রায় রোজই নতুন তথ্য আসছে৷ সেই অনুযায়ী নানা জায়গায় তল্লাশিও চলছে৷ ওই জেরার সূত্রেই সি বি আইয়ের কলকাতার একটি দল রওনা দিচ্ছে গুয়াহাটি ও মুম্বইয়ে৷ সারদা-কর্তা সুদীপার নাম যেমন বলেছেন, তেমনি সি বি আই তদম্তে পেয়েছে আর আঢ্যি নামে দুর্গাপুরের এক বাসিন্দার নাম৷ ইনি সারদা গোষ্ঠীর ব্যাঙ্ক সংক্রাম্ত কাজকর্ম দেখতেন৷ সি বি আই মিডল্যান্ড পার্কের অফিস থেকে গড়িয়াহাটের একটি রাষ্ট্রায়ত্ত ব্যাঙ্কের সিল উদ্ধার করেছে৷ এটি অত্যম্ত গুরুত্বপূর্ণ বাঁক বলেই মনে করছেন গোয়েন্দারা৷ বহু সময় বিভিন্ন ব্যাঙ্কে তারিখ এগিয়ে, বা পিছিয়ে টাকা জমা, টাকা তোলার কাজ চলত৷ আঢ্যির সন্ধান পেলে তার থেকে ব্যাঙ্কের সারদা চক্রের কিছু কৌশল জানা সম্ভব হতে পারে৷ সুদীপা এই মুহূর্তে কোথায়, তার সন্ধান চলছে৷ সূত্রের খবর, প্রয়োজনে সুদীপার সন্ধান পেলে তাকে গোপনেও জেরা করতে পারে সি বি আই৷ যাতে তিনি নিরাপত্তার প্রশ্নে নিশ্চিম্ত থাকতে পারেন৷ সন্ধিরের ল্যাপটপে যাদের নাম পাওয়া গেছে, প্রাথমিকভাবে সেবি ও রিজার্ভ ব্যাঙ্কের কর্তারা সারদার সঙ্গে কতদূর জড়িয়ে ছিলেন, তা দেখবে সি বি আই৷ তার পরই নির্দিষ্ট ব্যক্তিদের ডাকা হবে৷ তদম্তে অনেকটাই এগিয়েছেন সি বি আই কর্তারা৷ তবে বহু নতুন নাম চলে আসায়, সেগুলি নিয়ে আলাদা আলাদা ভাবনাচিম্তা করতে হচ্ছে৷ আদালতে নীতুকে এদিন বিচারক জিজ্ঞেস করেন, তার কোনও অসুবিধে হচ্ছে কি না? জবাবে নীতু বলেন, কোনও অসুবিধে নেই৷ শরীর ভালই আছে৷ প্রয়োজনীয় ওষুধপত্রও তিনি পাচ্ছেন৷ আজ, শনিবার সি বি আই আরও কয়েকটি জায়গায় তল্লাশি চালাবে সন্ধিরের ল্যাপটপের সূত্র ধরে৷ তার মধ্যে কয়েকজন প্রভাবশালীর বাড়িও রয়েছে৷
রেহাই মিলবে না, সি বি আই এবার পৌঁছবে হাসপাতালে: রাহুল সিনহা
অনুপম বন্দ্যোপাধ্যায়: তারাপীঠ, ২৯ আগস্ট– সারদা-কাণ্ডে সি বি আইয়ের তদম্ত যত এগোচ্ছে, তৃণমূল কংগ্রেসের নেতা-মন্ত্রীদের মুখ ততই শুকিয়ে যাচ্ছে! গ্রেপ্তারি এড়াতে অনেকে হাসপাতালে ভর্তি হয়ে যাচ্ছেন৷ কিন্তু তাতেও রেহাই মিলবে না৷ সি বি আই হাসপাতালেও পৌঁছে যাবে গ্রেপ্তার করতে৷ শুক্রবার তারাপীঠে দলের জেলা যুব মোর্চার ৩ দিনের প্রশিক্ষণ শিবিরের উদ্বোধন অনুষ্ঠানের প্রকাশ্য সমাবেশে রাজ্যের শাসক দলকে এভাবেই আক্রমণ করলেন রাজ্য বি জে পি সভাপতি রাহুল সিনহা৷ তাঁর কটাক্ষ, লোকসভা নির্বাচনের প্রচারপর্বে তৃণমূলের নেত্রী ও নেতারা নরেন্দ্র মোদির কোমরে দড়ি পরানোর কথা বলেছিলেন৷ আর আজ নিজেদেরই কোমরে দড়ি পরার ভয়ে ওঁদের মুখ শুকিয়ে গেছে৷ রাহুল বলেন, সারদার সি বি আই তদম্ত আস্তে আস্তে শিখর পর্যম্ত পৌঁছবে৷ তাপস পাল-কাণ্ড প্রসঙ্গে রাহুল এদিন বলেন, ‘ধর্ষণের প্ররোচকদের আড়াল করতে রাজ্য সরকার দু-দুবার হাইকোর্টের ডিভিশন বেঞ্চে আবেদন করল৷ এতেই বোঝা যায়, এ রাজ্যে মা-বোনদের সম্মান আজ কোথায়! রাজ্য বি জে পি সভাপতির দাবি, ২০১৬ বিধানসভা নির্বাচনে তৃণমূল কংগ্রেস নিশ্চিহ্ন হয়ে যাবে৷ বি জে পি-র হাত ধরে রাজ্যে নতুন পরিবর্তন আসবে৷ এদিনের অনুষ্ঠানে এ ছাড়াও বক্তব্য পেশ করেন অভিনেতা জয় ব্যানার্জি, দলের জেলা সভাপতি দুধকুমার মণ্ডল প্রমুখ৷
বি জে পি-কে রুখতে দরকার বামেদের সঙ্গে জোট: মমতা
আজকালের প্রতিবেদন: ২০১৬ বিধানসভা নির্বাচনে বি জে পি পাঁচটা আসনে জিতে দেখাক৷ তার পর পাখির চোখ করবে৷ শুক্রবার একটা বেসরকারি টিভি চ্যানেলে সাক্ষাৎকার দিতে গিয়ে এ কথা বলেন মুখ্যমন্ত্রী মমতা ব্যানার্জি৷ নবান্নে দেওয়া সাক্ষাৎকারে বি জে পি-কে কড়া আক্রমণ করেন মমতা৷ পাশাপাশি তিনি বিহার নির্বাচনে জয়ের জন্য লালুপ্রসাদ, নীতীশ কুমার ও কংগ্রেসকে অভিনন্দন জানিয়ে বলেন, লোকসভা নির্বাচনের আগে এই ধরনের সমঝোতা হলে বি জে পি জিতত না৷ মমতাকে প্রশ্ন করা হয়, বাংলায় বি জে পি-কে রুখতে এই ধরনের জোট করা কি সম্ভব? আপনি কি সি পি এমের সঙ্গে কথা বলবেন? মমতা বলেন, আলোচনা প্রত্যেকের সঙ্গে হতে পারে৷ আলোচনার দরজা কখনই বন্ধ হতে পারে না৷ তবে সি পি এমের কথা কিন্তু আমি বলছি না৷ প্রস্তাব এলে তা নিশ্চয়ই ভেবে দেখব৷ দলে এ নিয়ে আলোচনা হবে৷ আমরা একবার এস ইউ সি-র সঙ্গে সমঝোতা করেছিলাম৷ জোটের প্রস্তাব এলে নিশ্চয়ই ভেবে দেখব৷ আমি মনে করি কেউ অচ্ছুত নয়৷ সাক্ষাৎকারে মমতা বি জে পি-কে কটাক্ষ করে বলেন, ওরা তো দেশ বিক্রি করে দিচ্ছে৷ আদবানিজি ও যোশিজিকে বাদ দিয়ে দিচ্ছে৷ অটলজিকে দেখে না৷ কেয়ার করে না৷ সারদা নিয়ে বিভিন্ন প্রশ্নের উত্তর দেন মুখ্যমন্ত্রী৷ তিনি বলেন, সারদা সি পি এমের কলঙ্ক৷ ওদের আমদানি৷ আর বি জে পি-র আমদানি৷ সি বি আই নিয়েছে, আমি খুশি৷ বেঁচে গেছি৷ সি বি আই-কে সবরকম সহযোগিতা করা হচ্ছে৷ অফিসাররা তাদের সাহায্য করছেন৷ আমি চাই অন্যায় করলে সে নিশ্চয়ই শাস্তি পাবে৷ কুণাল ঘোষের বিরুদ্ধে নির্দিষ্ট অভিযোগ ছিল, তাই গ্রেপ্তার করা হয়েছে৷ মমতা বলেন, সি বি আই যেন আসল অপরাধীকে আড়াল না করে৷ সুপ্রিম কোর্ট একবার বলেছিল, সি বি আইয়ের সাফল্য খুব কম৷ মমতা বলেন, পঞ্চায়েত নির্বাচনের আগে থেকে সি বি আই চলছে৷ এর পর অনেক ভোট গেল৷ সামনে দুটি উপনির্বাচন, তাই কি এত সক্রিয়? চুনোপুঁটিদের ধরে তৃণমূলের বদনাম করা হলে আমরা কিন্তু ছেড়ে কথা বলব না৷ আমরা চাই সি বি আই সকলের টাকা ফেরত দিক৷ এফ ডি আই নিয়েও মমতা বেশ কিছু প্রশ্নের উত্তর দেন৷ তিনি বলেন, এফ ডি আইয়ের বিরোধিতা আমরাই করেছিলাম৷ জনবিরোধী কোনও কাজ হলেই আমরা প্রতিবাদ করব৷ তার কারণ আজও আমি সংগ্রামী৷ এটাই আমার চরিত্রের বৈশিষ্ট্য৷ মমতা বলেন, বি জে পি সরকার রেলকে এফ ডি আইয়ের হাতে দিয়ে দিচ্ছে৷ অরুণ জেটলি আমাকে অনেক কিছু বোঝাতে এসেছিলেন৷ তাঁকেও বুঝিয়ে দিয়েছি৷ মমতা বলেন, এফ ডি আইয়ের বিরুদ্ধে বলে আমি শপিং মলের তো বিরোধী নই৷ এখানে তো সঞ্জীব গোয়েঙ্কারা শপিং মল করছেন৷ কিছু বড় বাণিজ্যে কেন আপত্তি থাকবে? জমি নীতি নিয়েও মুখ্যমন্ত্রী বলেন, আমরা বাংলায় ল্যান্ড ব্যাঙ্ক, ল্যান্ড ম্যাপ করেছি৷ জমি নীতি করা হয়েছে৷ চাষীদের থেকে জোর করে জমি নেওয়া হবে না৷ শিল্পপতিরা কৃষকদের সঙ্গে কথা বলে জমি কিনতে পারবেন৷ সিঙ্গাপুরে গিয়েও আমি ল্যান্ড ব্যাঙ্কের কথা বলেছি৷ সিঙ্গাপুর নিয়ে কংগ্রেস, সি পি এম, বি জে পি কী কুৎসা শুরু করেছে! হিংসে করছে৷ তবে আমরা আমাদের কাজ করে যাচ্ছি৷ মমতা এদিন বলেন, কুৎসা, চক্রাম্ত, বদনাম করা সত্ত্বেও আমরা উন্নয়ন করে চলেছি৷ যাঁরা কুৎসা করছেন, তাঁরা একবার নিজেদের দিকে তাকান৷ ধর্ষণ নিয়ে মমতা বলেন, বাংলায় ধর্ষণের সংখ্যা কমে গেছে৷ মহিলারা নিরাপদে৷ কোনও ঘটনা ঘটলে আমরা ব্যবস্হা নিই৷ আমরা চাই না, একটাও ধর্ষণের ঘটনা ঘটুক৷ বি জে পি-কে আক্রমণ করে মমতা বলেন, ক্ষমতায় এসে ওরা নিজেদের কেউকেটা ভাবছে৷ জঙ্গলমহলে অস্ত্র নিয়ে মিছিল করছে৷ আমার কাছে খবর এসেছে৷ বি জে পি-র ‘আচ্ছে দিন’কে কটাক্ষ করে মমতা বলেন, আচ্ছে দিনের বদলে বুঢ়া দিন এসেছে৷ রাজ্যে অশাম্তি ছড়ানোর চেষ্টা চলছে৷ দাঙ্গা বাধাতে চাইছে৷ আমরা কিন্তু দাঙ্গা করতে দেব না৷ সি পি এমের কিছু উচ্ছিষ্ট বি জে পি-তে গেছে৷ বি জে পি-র শেল্টারে থেকে তারা গোলমাল করছে৷ সি পি এমের হার্মাদ বাহিনী, বি জে পি-র ভৈরব বাহিনী এখন এক হয়েছে৷ সি পি এমের কোনও নীতি, আদর্শ নেই৷ রেজ্জাক মোল্লা ও লক্ষ্মণ শেঠকে ধরে রাখতে পারল না৷ সিন্ডিকেটের তোলাবাজি নিয়ে মমতা বলেন, আমরা তোলাবাজদের দলে চাই না৷ অনেকেই অপপ্রচার করে দলের বদনাম করছে৷ তোলাবাজির কোনও খবর এলেই আমরা ব্যবস্হা নিই৷ শাস্তি দিই৷
বিজেপিকে ঠেকাতে বামেদের সঙ্গেও জোটের ইঙ্গিত মুখ্যমন্ত্রীর, কটাক্ষ বাম-বিজেপির
কলকাতা: বিজেপিকে ঠেকাতে বামেদের সঙ্গেও জোট হতে পারে। ২৪ ঘন্টায় একান্ত সাক্ষাতকারে এমনটাই জানিয়েছেন মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়।
মুখ্যমন্ত্রীর এই মন্তব্যে সিপিআইএম নেতা মহঃ সেলিমের প্রতিক্রিয়া,আগে নিজের রাজনৈতিক অবস্থান স্পষ্ট করুন মুখ্যমন্ত্রী। তারপর জোট ভাবনা। মুখ্যমন্ত্রীর জোট প্রস্তাবে তোপ দেগেছেন বিজেপির রাজ্যসভাপতি রাহুল সিনহা। তাঁর কটাক্ষ, চাপে পড়েই এখন জোটের পথ খোলা রাখতে চাইছেন মুখ্যমন্ত্রী।
প্রতিপক্ষ বিজেপিকে বিরোধী বামেদের জন্য ২৪ ঘণ্টার একান্ত সাক্ষাতকারে জোট প্রস্তাব দিলেন মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়।
সিপিআইএমের তরফে জোট প্রস্তাব এলে ভেবে দেখার কথা বলেছেন মুখ্যমন্ত্রী। এ নিয়ে সিপিআইএম নেতা মহম্মদ সেলিমের প্রতিক্রিয়া, আগে নিজের আদর্শগত অবস্থান স্পষ্ট করুন মুখ্যমন্ত্রী
মুখ্যমন্ত্রীর এই প্রস্তাবকে তীব্র কটাক্ষ করেছেন বিজেপির রাজ্য সভাপতি রাহুল সিনহা। বিজেপি নেতার মন্তব্য, বিজেপির জনপ্রিয়তার সিঁদুরে মেঘ দেখছেন মুখ্যমন্ত্রী। তাই জোটের কথা বলছেন তিনি।
রাজনৈতিক ভাষ্যকার শিবাজী প্রতিম বসুর মতে, রাজ্যে বিজেপির সঙ্গে প্রতিদ্বন্দ্বিতায় নিজেকে টিকিয়ে রাখতেই জোটের পথ খোলা রাখতে চাইছেন মুখ্যমন্ত্রী।
সারদা কেলেঙ্কারি: সিবিআই-এর জেরার মুখে এবার মিঠুন চক্রবর্তী
Last Updated: Saturday, August 30, 2014 - 13:24
কলকাতা: সারদাকাণ্ডে এবার তৃণমুল সাংসদ মিঠুন চক্রবর্তীকে জেরা করবে সিবিআই। আগামী সপ্তাহে মুম্বইয়ে বলিউড তারকা মিঠুন চক্রবর্তীকে জেরা করা হবে বলে সিবিআই সূত্রে খবর। এর আগে সারদাকাণ্ডে মিঠুন চক্রবর্তীকে জেরা করেছিল ইডি।তিনি সারদার ব্র্যান্ড অ্যাম্বাসাডর ছিলেন। এদিকে সারদার বিজ্ঞাপন নির্মাতা সদানন্দ গগৈকে ফের তলব করল সিবিআই। আজ তাঁকে ফের জেরার জন্য কলকাতা দফতরে তলব করা হয়েছে। সদানন্দ সারদার বিজ্ঞাপনের নির্মাতা-নির্দেশক ছিলেন। তাঁকে আগেও গুয়াহাটিতে জেরা করেছে সিবিআই।
অন্যদিকে গতকাল মিডল্যান্ড পার্কে, সারদার অফিসে যাওয়ার কথা স্বীকার করে নিলেন পরিবহণমন্ত্রী মদন মিত্রের প্রাক্তন আপ্ত সহায়ক বাপি করিম। বৃহস্পতিবার তিনি বলেছিলেন, একবারের জন্যেও তিনি সারদাগোষ্ঠীর ওই অফিসে যাননি। তবে আজ জেরার জন্য সিজিও কমপ্লেক্সে ঢোকার মুখে তিনি বলেন, মিডল্যান্ড পার্কের অফিসে তিনি গিয়েছিলেন। উদ্দেশ্য ছিল, একটি অনুষ্ঠানে তাঁদের আমন্ত্রণ জানানো। বাপি করিম এও জানিয়েছেন, ডায়মন্ডহারবার রোডে লক্ষ্মীনারায়ণ মন্দির সারাইয়ে সারদা গোষ্ঠী এক কোটি টাকা দিয়েছিল। এই মন্দিরটি বিষ্ণুপুর বিধানসভা কেন্দ্রের মধ্যে পড়ে, যেখানকার বিধায়ক ছিলেন মন্ত্রী মদন মিত্র। সিবিআই সূত্রে জানা গেছে, যে সমস্ত প্রশ্নের মুখে বাপিকে পড়তে হচ্ছে, তার বেশিরভাগই মন্ত্রী মদন মিত্র-কেন্দ্রিক। সুদীপ্ত সেনের সঙ্গে মন্ত্রীর সম্পর্ক নিয়ে আজ ফের জিজ্ঞাসাবাদ করা হচ্ছে তাঁকে। একের পর এক ভুল তথ্য দিয়ে সিবিআইকে বিভ্রান্ত করার অভিযোগ উঠেছে তাঁর বিরুদ্ধে।
সারদাকাণ্ডে ধৃত ইস্টবেঙ্গল কর্তা দেবব্রত সরকারকে আদালতে তোলার সময় আজ রণক্ষেত্র হয়ে ওঠে আদালত চত্বর। তুমুল বিশৃঙ্খলা তৈরি হয়। আলিপুর আদালত চত্বরে তাঁকে আনামাত্র আচমকা সাংবাদিকদের লক্ষ্য করে তেড়ে আসেন একদল লাল-হলুদ সমর্থক। ছবি তুলতে সাংবাদিকদের বাধা দেওয়া হয়। মুহুর্তের মধ্যে রণক্ষেত্র হয়ে ওঠে ঘটনাস্থল। ধাক্কাধাক্কি শুরু হয়ে যায় দুপক্ষের। পুলিস এসে পরিস্থিতি নিয়ন্ত্রণে আনে।
সারদাকাণ্ডে ধৃত ইস্টবেঙ্গল কর্তা দেবব্রত সরকার এবার জেল হেফাজতে। আগামী দশই সেপ্টেম্বর পর্যন্ত তাঁর জেল হেফাজতের নির্দেশ দিয়েছে আলিপুর আদালত। সিবিআই সূত্রে খবর, তাঁকে জেরা করে আপাতত আর নতুন কিছু জানার নেই গোয়েন্দাদের। তাই তাঁকে নিজেদের হেফাজতে চায়নি সিবিআই। তাঁর কাছ থেকে পাওয়া তথ্যের ভিত্তিতে নতুন করে আরও বেশ কয়েকজনের বাড়িতে শীঘ্রই তল্লাসি চালানো হতে পারে। আগামী পয়লা সেপ্টেম্বর দুপুর একটা থেকে চারটে পর্যন্ত প্যারোলে মুক্তি দেওয়া হবে। লাল-হলুদ কর্তা নীতুর অনুরোধ মেনে নিয়ে আজ এই নির্দেশ দিয়েছে আদালত।এর পসারদাকাণ্ডে ব্যবসায়ী রাজেশ বাজাজকে জেরা করছে সিবিআই। গতকালের পর আজও সিজিও কমপ্লেক্সে ডেকে পাঠিয়ে তাঁকে জিজ্ঞাসাবাদ করছেন গোয়েন্দারা।
সারদাকাণ্ডে জড়িত থাকার কথা অস্বীকার মদন মিত্রের, তোপ দাগলেন সিবিআই-এর বিরুদ্ধে
Last Updated: Saturday, August 30, 2014 - 13:15
কলকাতা: সারদাকাণ্ডে সিবিআই তলব করতে পারে জেনেই আজ পাল্টা তোপ দাগলেন পরিবহণমন্ত্রী মদন মিত্র। সারদা কেলেঙ্কারির সঙ্গে জড়িত থাকার কথা সরাসরি অস্বীকার করলেন মদন মিত্র। তাঁর বক্তব্য, সম্পূর্ণ ভুল পথে চলছে সিবিআই। পরিবহণমন্ত্রীর কটাক্ষ, সিবিআই আসলে ক্রিয়েটিভ ব্যুরো অফ ইনভেস্টিগেশন। নাম না করে এদিন প্রধানমন্ত্রীকেও কটাক্ষে বিঁধেছেন পরিবহণমন্ত্রী।
তিনি বলেছেন, রাজনৈতিক উদ্দেশ্যে সিবিআইকে চালাচ্ছেন 'কৃষ্ণ'। সিবিআই তলব করলে যাবেন জানিয়ে পরিবহণমন্ত্রী আজ ফের বলেন, সারদায় আমাদের দলের কেউ জড়িত নয়। তাঁর দাবি, সত্য কখনও চাপা থাকে না। পরিবহণমন্ত্রীর অভিযোগ, গায়ের জোরে, চক্রান্ত করে, রাজনৈতিক উদ্দেশ্যে মিথ্যেকে সত্য প্রমাণ করা যাবে না। মদন মিত্র বলেন, সারদার সঙ্গে তিনি কিম্বা তাঁর পরিবারের কেউ জড়িত নন।
30 Aug 2014, 08:47
সারদা কেলেঙ্কারির তদন্তে রাজ্যের পরিবহণ এবং ক্রীড়ামন্ত্রীকে জেরার জন্য ডেকে পাঠানোর ইঙ্গিত দিল কেন্দ্রীয় গোয়েন্দা সংস্থা৷ সিবিআই সূত্রের খবর, আগামী সপ্তাহেই তাঁকে ডাকা হতে পারে৷
30 Aug 2014, 08:52
এক ল্যাপটপেই পর্দা ফাঁস! ওই ল্যাপটপ থেকেই পাওয়া গেল সারদা কেলেঙ্কারির বেশ কিছু গুরুত্বপূর্ণ নথি৷ শুক্রবার আলিপুর আদালতে ইস্টবেঙ্গল কর্তা দেবব্রত সরকার ওরফে নীতুর জামিনের বিরোধিতা করতে গিয়ে এই তথ্যই তুলে ধরলেন সিবিআইয়ের আইনজীবী৷
30 Aug 2014, 08:57
লক্ষ্য হারিয়ে যাচ্ছে উপলক্ষের আড়ালে৷ শুক্রবার শিক্ষক দিবসে সর্বপল্লি রাধাকৃষ্ণন নন, আদর্শ অন্য কোনও শিক্ষক-শিক্ষিকার জীবনকথাও নয়, কেন্দ্রের উদ্যোগের কেন্দ্রে শুধুই নরেন্দ্র মোদী৷ ওই দিন দিল্লিতে এক অনুষ্ঠানে স্কুলের ছাত্রছাত্রীদের নানা প্রশ্নের জবাব দেবেন প্রধানমন্ত্রী৷
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ব্যবসা
গত বুধবারই একশো টাকা মূল দামে টিকিট এনেছিল এয়ার ইন্ডিয়া (এআই)। আর সে দিনই বেশ কিছুক্ষণের জন্য বসে যায় সংস্থার ওয়েবসাইট। এআইয়ের দাবি, সাইট কাজ না-করার পিছনে কারণ ছিল তাকে নিশানা করে লাগাতার আক্রমণ। ভারতের ন্যাশনাল ইনফরমেটিক্স সেন্টারের (এনআইসি) তদন্তে এই তথ্য উঠে এসেছে বলে জানিয়েছে তারা।
৩০ অগস্ট, ২০১৪
বিদেশ
ফুলে ঢাকা পাহাড়ি এলাকা ‘হাইল্যান্ডস’, চমৎকার হ্রদ, স্কচ হুইস্কি। স্কটল্যান্ড সম্পর্কে ধারণাটা অনেক সময়েই ঘোরে এই ছবিগুলিকে কেন্দ্র করে। ব্রিটেনগামী পর্যটকদের অনেকেই পা রাখতে চান স্কটল্যান্ডে। কিন্তু আপাতত রাজনৈতিক তরজায় সরগরম স্কটল্যান্ড। ১৯ সেপ্টেম্বর ভোট দেবেন স্কটল্যান্ডের মানুষ। স্থির হবে ব্রিটেনের অংশ হিসেবেই থাকবে স্কটল্যান্ড, নাকি স্বাধীন দেশ হিসেবে যাত্রা শুরু হবে তার। ফুলে ঢাকা পাহাড়ি এলাকা ‘হাইল্যান্ডস’, চমৎকার হ্রদ, স্কচ হুইস্কি। ১৯৯৯ সালে তৈরি হয় স্কটিশ পার্লামেন্ট।
৩০ অগস্ট, ২০১৪
দেশ
পর্নোগ্রাফিক ওয়েবসাইট বন্ধ করতে গিয়ে নাকানিচোবানি খেতে হচ্ছে সরকারকে। সুপ্রিম কোর্টে আজ তেমনটাই জানিয়েছে কেন্দ্র। গত বছর দায়ের হওয়া একটি জনস্বার্থ মামলার পরিপ্রেক্ষিতে আজ সরকারের তরফে দাবি করা হয়েছে, “এই রকম চার কোটি ওয়েবসাইট রয়েছে। আমরা একটা বন্ধ করব, আর একটা তৈরি করা হবে।” শিশুদের দিয়ে অশ্লীল ছবি তৈরি (চাইল্ড পর্নোগ্রাফি) এবং অন্য পর্নোগ্রাফি সাইট বন্ধ করার জন্য নিষেধাজ্ঞা চেয়ে ওই জনস্বার্থ মামলা দায়ের হয়েছিল সুপ্রিম কোর্টে। কেন্দ্র আজ জানিয়েছে, এই ধরনের পর্নোগ্রাফি সাইটগুলির সার্ভার বেশির ভাগই বিদেশে রয়েছে।
৩০ অগস্ট, ২০১৪
কলকাতা
বছর পনেরো-ষোলোর কিশোরিটির মাথার উপরে খাড়া দাঁড়িয়ে আছে একটি লরি। সেটাকে সরিয়ে মেয়েটিকে বার করার উপায় নেই। কারণ, দুর্ঘটনার পরেই লরি ফেলে পালিয়ে গিয়েছে চালক। রক্তে ভেসে যাচ্ছে রাস্তা। প্রত্যক্ষদর্শীরা দূরে দাঁড়িয়ে বুঝে উঠতে পারছেন না, কী করবেন। বেশ খানিকটা পরে ঘোর ভাঙতে তাঁরাই কোনও রকমে ঠেলে সরালেন লরিটি। তত ক্ষণে মৃত্যু হয়েছে মেয়েটির।
৩০ অগস্ট, ২০১৪
উত্তর ও দক্ষিণ ২৪ পরগনা
পৈতৃক জমির দখল পেতে ব্লক ভূমি আধিকারিকের মাথায় টাঙ্গির কোপ মারল এক ব্যক্তি। শুক্রবার সকাল সাড়ে ১০টা নাগাদ ঘটনাটি ঘটেছে জয়নগর স্টেশন চত্বরে। পুলিশ জানিয়েছে, ধৃতের নাম দুলাল নস্কর। স্থানীয় বাসিন্দারা জখম ওই ব্যক্তি জয়নগর-২ ব্লকের ভূমি আধিকারিক বিশ্বদীপ মুখোপাধ্যাকে প্রথমে নিমপীঠ প্রাথমিক স্বাস্থ্যকেন্দ্রে নিয়ে যায়। তাঁর মাথায় ১২টি সেলাই পড়ে।
৩০ অগস্ট, ২০১৪
স্বাস্থ্য
কিডনিতে ছ’কেজি ওজনের টিউমার ছিল ন’বছরের ছেলের। ডাক্তারেরা জানিয়েছিলেন, স্টেজ ফোর ক্যানসার। অস্ত্রোপচার করে টিউমারটি বাদ দেওয়া হল ঠিকই, কিন্তু বিপদ কাটল না। ঠাকুরপুকুরের এক হাসপাতালে ছেলেকে ভর্তি করে দিয়ে তার বাবা তাদের সঙ্গ ত্যাগ করলেন। ঠাকুরপুকুরের এক হাসপাতালে ছেলেকে ভর্তি করে দিয়ে তার বাবা তাদের সঙ্গ ত্যাগ করলেন।
৩০ অগস্ট, ২০১৪
রাজ্য
তাঁদের মামলার জেরেই সারদা-কেলেঙ্কারির তদন্তভার সিবিআই-কে দিয়েছিল সুপ্রিম কোর্ট। এ বার সেই তদন্ত যাতে সুষ্ঠু ভাবে হয়, তা নিশ্চিত করতে ফের সর্বোচ্চ আদালতের হস্তক্ষেপ চাইতে চলেছেন বর্ষীয়ান কংগ্রেস নেতা আব্দুল মান্নান ও তাঁর সঙ্গীরা। মান্নানের অভিযোগ, সারদার তথ্য-প্রমাণ লোপাট করতে তৃণমূলের এক বিশিষ্ট নেতা সম্প্রতি বিদেশে গিয়েছিলেন।
৩০ অগস্ট, ২০১৪
উত্তরবঙ্গ
পুজোর সাজ বন বাংলোতেও। বর্ষায় তিন মাস বন্ধের পরে আগামী ১৬ সেপ্টেম্বর খুলে যাবে ডুয়ার্সের সমস্ত বন বাংলো। পর্যটকদের জন্য কার্যত ওই দিন থেকেই ডুয়ার্সের জঙ্গলে শারদোৎসবের সূচনা হবে। তাই প্রস্তুতি এখন চলছে জোরকদমে।
৩০ অগস্ট, ২০১৪
বর্ধমান
কালনা শহরের ভরা রাস্তায় পথ চলাই দায়। সেই সময়েই হঠাৎই হর্ন দিতে দিতে প্রবল গতিতে ছুটে এল কয়েকটি মোটরবাইক। পথচারীরা কিছু বোঝার আগেই চোখের আড়ালে চলে গেল সেগুলি।
৩০ অগস্ট, ২০১৪
নদিয়া-মুর্শিদাবাদ
ছেলের পথ ধরে কি এবার বাবা? রাজ্য যুব কংগ্রেসের সভাপতি তথা মুর্শিদাবাদ লোকসভা কেন্দ্রের প্রাক্তন সাংসদ মান্নান-পুত্র সৌমিক হোসেন গত ২২ অগস্ট সদলবলে কলকাতায় তৃণমূল ভবনে গিয়ে শাসক দলে যোগ দেন। তার পরেই দলের অভ্যন্তরে মান্নান হোসেনকে নিয়ে জল্পনা শুরু হয়।
৩০ অগস্ট, ২০১৪