Abhishek Srivastava
बिहार चुनाव और आरक्षण पर बहस की आड़ में भारत सरकार ने चुपके से नेपाल में आर्थिक नाकाबंदी लगा दी है। नेपाल की वेबसाइटों और चैनलों पर लगातार यह ख़बर चल रही है कि किस तरह भारत सरकार ने अपनी मर्जी का संविधान न बनने की खीझ में गाडि़यों को आज सुबह से ही सीमा पर रोकना शुरू कर दिया है और बिना किसी औपचारिक घोषणा के नेपाल में तेल की सप्लाई रोक दी है। इससे ठीक पहले यानी कल नेपाल के प्रधानमंत्री सुशील कोइराला के प्रेस सलाहकार प्रतीक प्रधान से सिर्फ इसलिए इस्तीफा ले लिया गया था क्योंकि एक अखबार में उनके लिखे लेख पर भारत के विदेश सचिव ने आपत्ति जता दी थी। नेपाल की संप्रभुता और संविधान को लेकर भारत की सरकार इतनी बेचैन क्यों है, इसे विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर 20 सितंबर और 21 सितंबर यानी लगातार दो दिनों तक नेपाल की स्थिति पर जारी प्रेस विज्ञप्तियों की कठोर भाषा से समझा जा सकता है। नेपाल में भारत सरकार का दखल काफी तेजी से बढ़ रहा है। नाकेबंदी की इस खबर को अगर भारतीय मीडिया नहीं उठाता है, तब भी नेपाल की संप्रभुता से सरोकार रखने वाले तमाम पत्रकारों को इसे प्रसारित करना चाहिए। सुविधा के लिए नेपाली वेबसाइट का लिंक दे रहा हूं। इस वेबसाइट पर लगातार निगाह बनाए रखें।
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