आज फिर एक बार मधुकर सिंह की कहानी 'दुश्मन' की याद आ गयी. जिसमें नायक भीखम को मंत्री जगेसर से एक बात जरूर पूछनी है- 'आदमी सरकार होने के बाद आदमी क्यों नहीं रह जाता?'सत्ता किसी तरह पाना है, बाकी सब कुछ नाटक है, बेमानी है-
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