भोपाल में दलित - आदिवासी भूमि अधिकार आन्दोलन की चेतावनी: भूमिहीन दलितों-आदिवासियों-गरीबों को 5 एकड़ भूमि नहीं तो सरकार नहीं!
9 जून, भगवन बिरसा मुंडा की जयंती पर राष्ट्रीय दलित महासभा के नेतृत्व में आयोजित विशाल दलित आदिवासी भूमि अधिकार रैली ने अपने मंसूबे साफ़ करते हुए सरकार को चेतावनी डी है कि यदि सरकार ने भूमिहीन दलितों, आदिवासियों और गरीबों को दिसंबर 2017 तक यदि 5-5 एकड़ भूमि वितरित नहीं की गई तो मध्य प्रदेश के 2018 के चुनाव में दलित आदिवासी और भूमिहीन लोग शिवराज चौहान की सरकार के खिलाफ वोट डालेंगे.
साथ ही आयोजकों ने यह भी साफ़ कर दिया कि भूमि की लड़ाई राजनैतिक है और वह इसके लिए राजनैतिक दल का गठन भी करेंगें. रैली में दलित, आदिवासी और गरीब परिवारों से आये वक्ताओं और उनके समर्थकों ने बताया कि मध्य प्रदेश में 36.5 फीसद आबादी दलित और आदिवासियों की है. इनमें से अधिकांश लोग भूमिहीन है. केवल मध्य प्रदेश की 3.5 फीसद जमीन ही इन 36.5 फीसद लोगों के पास है.
देश के जमीन के आंकडे बताते हैं कि देश की 55% जमीन केवल 5% फीसद लोगों के पास है और 33% लोग ऐसे हैं जिनके पास कटाई भूमि नहीं है. भूमि के देशव्यापी असमान वितरण के खिलाफ और देश में भूमि के पुनर्वितरण के लिए राष्ट्रीय दलित महासभा और आदिवासी अधिकार आन्दोलन जनवरी 2013 से भूमि अधिकार के लिए गाँव गाँव जाकर जनता को भूमि के असमान वितरण के प्रति जागरूक कर रहे है और वह सालाना 9 जून को भोपाल में रैली और प्रदर्शन करते हैं.
इस बार रैली में आये आदिवासी और दलितों ने भोपाल शहर में रैली निकल कर सरकार को अपनी ताकत का एहसास कराया है. रैली की विशालता के चलते, भोपाल शहर में जाम लग गया और सरकार को राष्ट्रीय दलित महासभा के डेलीगेशन को बुलाकर बात करनी पड़ी.
मध्य प्रदेश के कुछ जिलों में अब राष्ट्रीय दलित महासभा का प्रभाव साफ़ दिखाई पड़ रहा है. प्रदेश के उमरिया व रीवा जिले में राष्ट्रीय दलित महासभा समर्थित करीब चालीस उम्मीदवार पंचायत चुनाव में विभिन्न पदों पर जीत कर आये हैं और कई जगह उन्होंने दलितों और आदिवासियों को जमीन बाटने का काम किया है.
नीचे कुछ फोटो रैली से लिए गए हैं. | |
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