जे एन यु के छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैय्या की गिरफ़्तारी की कड़ी निंदा करता हूँ l
कल जबसे जे एन यु के छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैय्या की गिरफ़्तारी की सूचना आई है तब से बहुत असहज, व्यथित और चिंतित हूँ l कल ही सुबह वायरल हुई कन्हैया के भाषण की क्लिप के साथ यह चिंता बहुत बढ़ गई थी l
आज़ादी के बाद शायद पहली बार "जातिवाद-ब्राह्मणवाद" के खिलाफ उठे स्वत स्फूर्त जन उभार के अभी एक बड़े आन्दोलन में बदलने की शुरुवात भी नहीं हुई थी कि उसे कुचलने के कुचक्र चलने लगे l
रोहित के बलिदान के बाद से ही मैं अपनी बातचीत के दौरान पुरे देश भर के दलित सामाजिक-राजनैतिक कार्यकर्ताओं से इस खतरे से सतर्क हो कर इस स्वत स्फूर्त स्थिति को जातिवाद ब्राह्मणवाद के खिलाफ एक सचेत आन्दोलन में बदलने की दिशा में कार्य करने की आवश्यकता पर जोर दे रहा था l
सबसे बड़ा खतरा भी बाहर से ज्यादा अंदर से था l
"जातिवाद-ब्राह्मणवाद" के खिलाफ दलित नेतृत्व में देशव्यापी आन्दोलन को "सामंतवादी- साम्प्रदायिकता" के खिलाफ आन्दोलन में बदलने की कोशिशों बदलने खतरा रोहित वेमुला के शहीद होने के बाद से ही पैदा हो गया थाl
अम्बेडकरवादी छात्र संगठनों के नेतृत्व में हैदराबाद से शुरू हुआ आन्दोलन कब छिटक कर जेएनयु में वामधारा में समाहित हो जायेगा इसका पूरा खतरा शुरू से ही था जो अब और स्पष्ट होता जा रहा है l
एक ऐसे दौर में जब पहली बार "जातिवाद- ब्राह्मणवाद" के खिलाफ पुरे देश में व्यापक इतिहासिक जन उभार पैदा हो रहा था और जो एक बहुत बड़े बदलाव का सपना सजोय देशव्यापी आन्दोलन की दिशा में बढ़ रहा था फिर आखिर क्या जरुरत थी इस पुरे आन्दोलन की दिशा को "सामंतवाद- साम्प्रदायिकता" के खिलाफ आन्दोलन में बदलने की l
इक बार फिर आपने रणनीतिक चुक कर दी है l
या फिर एक सोची समझी रणनीति के तहत दबे कुचले वर्ग के नेतृत्व में जातिवाद- ब्राह्मणवाद के खिलाफ उबरते देशव्यापी आन्दोलन की दिशा को "सामंतवादी- साम्प्रदायिकता" के खिलाफ आन्दोलन बदलने की कोशिश हो रही हैl
कामरेड ! आखिर आपकी पालटिक्स क्या है ????????? |
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