Thursday, November 19, 2015

Rajiv Lochan Sah पहाड़ की जबर्दस्त उकाव-हुलार वाली, संकरी, ऊबड़-खाबड़ पगडंडियों पर दो दिन में जीपीएस के हिसाब से तू 22 किमी पैदल चल लिया रे राजीव लोचन साह ! इसका मतलब पहाड़ की जिन्दगी के लिये तू पूरी तरह बर्बाद नहीं हुआ अभी. शुगर भी घटा होगा, यूरिक एसिड भी बहा होगा. जियेगा रे.... तू अभी जियेगा. कोई अखबारवाला हाथ में जाँठी लिये कदम बढ़ाने की तेरी फोटो नहीं छापेगा. तू खुद ही टांग ले पसीने से लथपथ अपनी फोटुक....

Rajiv Lochan Sah

पहाड़ की जबर्दस्त उकाव-हुलार वाली, संकरी, ऊबड़-खाबड़ पगडंडियों पर दो दिन में जीपीएस के हिसाब से तू 22 किमी पैदल चल लिया रे राजीव लोचन साह ! इसका मतलब पहाड़ की जिन्दगी के लिये तू पूरी तरह बर्बाद नहीं हुआ अभी. शुगर भी घटा होगा, यूरिक एसिड भी बहा होगा. जियेगा रे.... तू अभी जियेगा. कोई अखबारवाला हाथ में जाँठी लिये कदम बढ़ाने की तेरी फोटो नहीं छापेगा. तू खुद ही टांग ले पसीने से लथपथ अपनी फोटुक....





--
Pl see my blogs;


Feel free -- and I request you -- to forward this newsletter to your lists and friends!

No comments:

Post a Comment